रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया की जीरम मामले में टिप्पणी पर भाजपा और भाजपा के सहयोगी दलों की प्रतिक्रिया पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि यह छत्तीसगढ़ में जनधारणा है कि जीरम घाटी की घटना रमन सिंह और उनके सहयोगियों की साजिशों का परिणाम है। भूपेश बघेल ने कहा है कि पीएल पुनिया ने प्रभारी बनने के बाद लगातार छत्तीसगढ़ का दौरा किया है और गांव-गांव संपर्क किया है। पुनिया को जीरम में कांग्रेस नेताओं की शहादत को लेकर जो जानकारी मिली है, उसे ही उन्होने बेबाकी से पूरी ईमानदारी के साथ सामने रखा है। पूरा छत्तीसग? मानता और जानता है कि भाजपा की सरकार और भाजपा के सहयोगी राजनैतिक दल जीरम की घटना के गुनाहगार है।
बघेल ने कहा है कि जिस दिन जीरम घाटी में शहीद विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, उदय मुदलियार, महेन्द्र कर्मा, योगेन्द्र शर्मा, अभिषेक गोलछा, अल्लानूर भिंडसरा, गोपी माधवानी की शहादत की घटना हुई उसी दिन कांग्रेस ने कहा था कि यह आपराधिक राजनैतिक षडयंत्र है। भूपेश बघेल ने कहा है कि जीरम में कांग्रेस नेताओं की शहादत को आज 5 वर्ष हो गये। आज तक जीरम के अपराधी खुलेआम घूम रहे है। भूपेश बघेल ने कहा है कि चिंता की बात यह है कि रमन सिंह की सरकार ने अभी तक झीरम घाटी के हत्यारों और षडयंत्रकारियों को पकडऩे की बात तो दूर पहचानने के प्रयत्न भी आरंभ नहीं किये है।
भूपेश बघेल ने कहा है कि जीरम मामले में एनआईए की जांच में बार-बार रमन सिंह सरकार के नोडल ऑफिसरो ने बाधा डाली और मोदी सरकार बनने के बाद तो जांच की दिशा ही बदल गयी। भूपेश बघेल ने कहा है कि एनआईए ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपी दी लेकिन जीरम की साजिश का खुलासा नहीं हुआ। जीरम की जांच के लिये बने न्यायिक जांच आयोग के कार्यक्षेत्र में साजिश की जांच को सम्मिलित ही नहीं किया गया है। दरभा थाने में जो रिपोर्ट दर्ज करायी गई थी उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। एनआईए के द्वारा आधी-अधूरी जांच कर अंतिम रिपोर्ट आरोप पत्र दाखिल कर देने के बाद जीरम के शहीदों के परिवारजन कांग्रेस विधायक दल के नेता टीएस सिंहदेव के साथ रमन सिंह से नये रायपुर में मंत्रालय भवन में मिले थे। रमन सिंह ने जीरम की साजिश की जांच के लिये केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलवाने की बात कही थी। शहीदों के परिजनों को केन्द्रीय गृहमंत्री से मिलाने का वादा किये रमन सिंह को आज तीन साल से अधिक हो गये। केन्द्रीय गृहमंत्री अनेक बार छत्तीसगढ़ आये लेकिन शहीदों के परिजनों को राजनाथ सिंह से न छत्तीसगढ़ में और न ही दिल्ली में मिलवाया गया।
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