रायपुर। छत्तसीगढ़ में चुनावी बिसात बिछने लगी है। तीन बार से सत्ता से बाहर कांग्रेस इस बात राज्य की कमान संभालने के लिए पूरा दमखम लगा रही है। राष्ट्रीय स्तर में बदलाव के बाद इसका असर इस बार टिकट वितरण में नजर आ सकता है। ऐसी खबर मिल रही है कि केन्द्र टिकट बांटने से पहले गुपचुप तरीके से सर्वे करवा रही, ताकि टिकट के दावेदारों की स्थिति साफ हो सके। 2013 के चुनाव में भी राहुल गांधी ने कुछ नियम बनाए थे, लेकिन आखिरी समय में जो सूची जारी हुई उसमें उन नियमों को दरकिनार कर दिया और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। तत्तकालीन प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल और केन्द्र की सूची में जिन नेताओं के नाम थे उनमें से ज्यादातर को हार का सामना करना पड़ा और पार्टी सत्ता से दूर हो गई।
जानकारी के अनुसार राज्य के अलग-अलग हिस्सों में कई सर्वे टीम घूम रही है, जिन्हें कुछ सीटों की जबावदारी सौंपी गई है। शहरी और ग्रामीणों इलाकों के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई है, जो वहां की परिस्थितियों के हिसाब से सर्वे कर रही है, जो नाम अभी तक सामने आए है उनको लेकर भी टीम लोगों से बातचीत कर रही है कि कौन सा प्रत्याशी उचित होगा, आप किसे वोट देंगे आदि-आदि। सबसे ज्यादा फोकस उन सीटों पर किया जा रहा है जहां कांग्रेस के प्रत्याशी कम अंतर से हारे हैं। उसके बाद उन सीटों को टारगेट किया जा रहा है, जहां इस बार जीतने की संभावना है, इसलिए सर्वे को दो भागों में बांटा गया है।
पहले चरण में कम अंतर वाली सीटें है उसके बाद जहां भाजपाई विधायक निष्क्रिय है या कांग्रेस अच्छा कर सकती है उन्हें शामिल किया गया है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 35 एमएलए(सीटिंग) को टिकट दिया था, जिसमें से केवल 8 ही अपनी सीट बचा पाए। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में कई तरह के बदलाव हुए है, जिसके हिसाब से इस बार उम्मीद है कि पार्टी नए चेहरों (जीतने वाले) को मौका दे सकती है। परंपरागत रुप से चल रही परपाटी में बदलाव जरुर होगा। युवाओं पर खासा फोकस करने वाले राहुल गांधी की सोच के हिसाब से देखा जाए तो पार्टी पुराने नामों के साथ नए चेहरों पर दांव जरुर खेलेगी। राज्य नेतृत्व ने भी हाल में ली गई बैठक में साफ कर दिया है कि इस बात टिकट के लिए प्रक्रिया के तहत आना होगा, यानी कोई भी उम्मीदवार सीधे बड़े नेताओं को आवेदन नहीं दे पाएगा। आवेदन ब्लॉक अध्यक्ष के पास जमा होगा और उसके बाद आगे बढ़ते हुए राज्य की कमेटी के पास पहुंचेगा। यह नियम केन्द्र की सख्ती को देखते हुए लागू किया गया और इससे अचानक आने वाले नामों पर भी विराम लगेगा। राज्य में कांग्रेस के पास 36 विधायक है, जिनमें से कुछ को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। इसके अलावा हारने वालें को दोबारा मौक मिलेगा कि नहीं इसे लेकर भी संशय की स्थिति है। महिलाओं को खासा तवज्जों दिया जा सकता है। सर्वे में इस बात को लेकर भी कॉलम बनाया गया है। हो सकता है कि पार्टी इस बात ज्यादा महिला उम्मीदवार मैदान में उतारे।
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