जगदलपुर। विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। सभी राजनैतिक दल चुनावी रणभेरी फूंक चुके हैं। छत्तीसगढ़ की सत्ता की कुंजी माने जाने वाले आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग की 12 सीटों पर सबकी नजर है। भाजपा को पिछली बार मात्र 04 सीटें ही मिली थी। जिसके बाद भाजपा बड़ी मुश्किल से सरकार बनाने में सफल हो पाई थी। यह अहसास सत्ताधारी भाजपा को अच्छी तरह से है।
कांग्रेस भी इसे भलीभांति समझती है। कांग्रेस का बस्तर में 8 सीटों पर कब्जा है, जिस पर पुन:जीत दर्ज करना बड़ी चुनौती है। कांग्रेस बस्तर में अपना अच्छा प्रदर्शन नहीं दोहरा पाती है तो इसका बड़ा खामियाजा उसे उठाना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ में तीसरे दल का इतना प्रभाव नहीं दिखता लेकिन कुछ सीटों पर परिणामों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाती है।
भाजपा विकास यात्रा की शुरुआत जहां नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर से शुरू कर संदेश देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है, वहीं कांग्रेस भी झीरम घाट पहुँचकर शहीद कांग्रेसी नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर चुनावी समर में कूद चुकी है। इसके साथ ही सीपीआई, आम आदमी पार्टी, जोगी कांग्रेस ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ाते हुए अपने उम्मीदवार की घोषणा तक कर चुके हैं।
बस्तर के इक्के-दुक्के सीटों पर समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के उम्मीदवार भी चुनाव में उतरने की तैयारी में है। कुछ सीटों पर निर्दलीय भी चुनावी गणित बनाने-बिगाडऩे का काम करेंगे। कुल मिलाकर पूरा बस्तर संभाग चुनावी मोड़ में आ चुका है। बस्तर की 12 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों के घोषणा तथा अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों के घोषणा के बाद ही यह निर्धारित होगा कि छत्तीसगढ़ की सत्ता में कौन विराजमान होगा।
छत्तीसगढ़ प्रदेश हो या पूरा बस्तर यह सर्वविदित है कि यहां सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के मध्य ही सीधा मुकाबला है। दोनों ही राष्ट्रीय दल पूरा जोर लगा रही है। टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस की रायशुमारी की मुहिम शुरू हो चुकी है,विगत दिनों कांग्रेस के जोनल कोऑर्डिनेटर प्रदीप मांझी ने बस्तर संभाग के कांग्रेसी नेताओं बैठक में मौजूद एआइसीसी, पीसीसी, जिला पदाधिकारी तथा जनप्रतिनिधियो और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की तथा 15 अगस्त तक बस्तर के प्रत्याशियों की घोषणा की जानकारी दी गई है। वहीं भाजपा कई स्तर पर सर्वे का कार्य पूरा कर चुकी है। साथ ही आरएसएस और आईबी की रिपोर्ट भी पार्टी तक पहुँच चुकी है। इसके साथ ही पार्टी नए दावेदारों पर भी अपने स्तर पर खोजबीन एवं नजर बनाए हुए हैं। जुलाई में पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं का मन टटोलने के लिए वे प्रत्येक जिलो तक पहुचेंगे। भाजपा के दावेदारों का गुणा-गणित जारी है। सब अपने स्तर पर जोर आजमाइश करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
कांग्रेस में दावेदारी और प्रत्याशी चयन को लेकर हमेशा सिर फुटव्वल की स्थिति बनती है, जिससे निपटने के लिए नए फार्मूले पर कार्य कर रही है। जिसके तहत प्रत्याशियों की घोषणा अगस्त माह के मध्य तक कर दी जाएगी। इसके बाद के घमासान से निपटने के लिए असंतुष्टों को चुनाव से पहले हर स्तर पर मैनेज कर कांग्रेस जनता के मध्य बिना किसी विवाद के जाने की रणनीति पर काम कर रही है।
इसके साथ ही कांग्रेस टिकट के दावेदारों की भीड़ को कम करने के लिए दावेदारों के आवेदन के साथ ही 50 हजार रुपये का शुल्क लगा दिया है, जिससे दावेदारों के अनावश्यक भीड़ में कमी आएगी। यह फार्मूला कांग्रेस के लिए कहा तक कारगर होता है यह समय आने पर ही मालूम होगा। बस्तर के 12 सीट में से 8 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं इन विधयकों में से कितने को पुन: कांग्रेस टिकट देगी और किसका टिकट कटेगा। बस्तर में कांग्रेस के लिए 08 सीटों को बरकरार रखने की चुनैती है जिसे लेकर कवायद जारी है। क्यों की उन्हें अपनी उपलब्धियों को लेकर जनता बीच जाना होगा।
इस संबंध में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव के बस्तर प्रवास में पत्रकारों से चर्चा के दौरान इस सवांददाता के द्वारा यह प्रश्न पूछा गया था कि बस्तर के 8 विधायक किन उपलब्धियों को लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में जायेंगे के जवाब में उन्होंने पूरे प्रदेश में कांग्रेस के द्वारा उठाये गए कदमों कार्यों का उल्लेख किया लेकिन बस्तर के 08 विधायकों के उपलब्धियों के संबंध में कुछ नही गिनाया, बस्तर के परिपेक्ष में कांग्रेस के लिए यही बड़ी चुनौती बन सकती है। 08 कांग्रेसी विधयाकों से यदि जनता संतुष्ट नही हुई तो इसका सीधा लाभ भाजपा को ही बस्तर में होगा। वहीं भाजपा बस्तर में कोई कोर कसर बाकी नही छोडऩा चाहती है। मुख्यमंत्री के लगातार बस्तर प्रवास के साथ ही दंतेवाड़ा से लेकर कांकेर तक के रोड शो करना लोकार्पण, शिलान्यास, सामाग्रियों का वितरण के अलावा बस्तर के मंत्रियों का सघन दौरा भाजपा के जनप्रतिनिधियों से लेकर संगठन पदाधिकारियों के लिए पूरा कार्यक्रम तय होने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को भी जोडक़र आगे बढ़ रही है। इसी से यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा के लिए बस्तर कितना अहम है। इसमें अब भाजयुमों का बड़ा आयोजन प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में किये जाने की तैयारी पूरे जोर शोर से जारी है, जिसमे भाजयुमों की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम महाजन, मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमण्डल और संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सहित बड़े नेता इनके अनुसांगिक संगठनो के शामिल होकर बस्तर संभाग के पूरे 12 सीटों पर पूरी ताकत झोकने का संदेश के साथ कोई कमी नही रहने देना चाहती है।
भाकपा एवं अन्य वामपंथी दल, जोगी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा निर्दलीय की भूमिका सबसे अहम होगी, जिसका लाभ किसे मिलेगा यह चुनावी समीकरण के बनते बिगड़ते माहौल के साथ ही तय होगा लेकिन यह तय है कि इसका सीधा लाभ सत्ताधारी भाजपा या कांग्रेस को ही होगा। दक्षिण बस्तर में भाकपा की पकड़ कुछ देखने को मिलता है। जहां भाकपा ने अपने तैयारी पूरी कर ली है जिस परिपेक्ष में भाकपा के केंद्रीय नेताओं ने जगदलपुर में बैठक कर चुनावी मैदान में उतर गए है। नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर के तीन सीट दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा में से एक पर भाजपा के मंत्री बीजापुर से विधायक हंै वही दंतेवाड़ा और कोंटा में कांग्रेस के विधायक है। दोनों ही राष्ट्रीय दल भाजपा-कांग्रेस को कितना प्रभावित करती है, यह देखना बाकी है।
वहीं दूसरी ओर जोगी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है और वे अपने चुनाव प्रचार में भी लग गए है। समाजवादी पार्टी की गतिविधियां जगदलपुर और बीजापुर में देखने को मिल रहा है। निर्दलीय अभी तक नजऱ नहीं आये हैं। टिकट बंटवारे के बाद ही निर्दलियों के मैदान में कूदने सम्भावना बनती है। यहां यह बताया जाना आवश्यक है कि छत्तीसगढ़ में कोई गठबंधन किसी भी दल के मध्य नहीं बना है। यह तय है कि भाजपा किसी के साथ गठबंधन नहीं कर रही है। वही कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने भी पहले ही स्पष्ट ऐलान कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अकेले ही चुनाव में उतरेगी अर्थात महागठबंधन जैसी विपक्षी रणनीति यहां नहीं होगी। (एजेंसी)
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