रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि मोदी और रमन सिंह किसानों के मसीहा बनने का नाटक बंद करें। उन्होंने कहा कि भाजपा की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 6 वर्षो में 490 रू. से 550 रू. किया था। अब मोदी सरकार ने चार वर्षों में मात्र 200 रु.की थी और इस साल 200 रू. की वृद्धि की है। भाजपा की सरकारों ने धान का समर्थन मूल्य 11 वर्षो में कुल 460 रू. की वृद्धि की है, जो कि स्पष्ट रूप से भाजपा के किसान विरोधी धान विरोधी रवैये को उजागर करता है।
कांग्रेस ने 10 वर्षों में धान के समर्थन मूल्य में 890 रू. की वृद्धि की है। यूपीए 1 में धान का समर्थन मूल्य 5 वर्शों में 2004 से 2009 तक 450 रूपयें बढ़ाया गया। (550 रू. प्रति क्ंिवटल से 900 रू. प्रति क्ंिवटल) और यूपीए 2 में 2009 से 2014 तक 5 वर्शों में धान का समर्थन मूल्य 440 रूपयें बढ़ाया गया। मई, 2014 में झूठ की बुनियाद पर व ‘लागत+50प्रतिशत’ मुनाफा की जुमलावाणी कर मोदी जी ने देश के अन्नदाता किसान का समर्थन तो हासिल कर लिया, पर चार सालों से फसलों पर ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ की के वादे पर मोदी कभी खरे नहीं उतरे।
अब हार की कगार पर खड़ी मोदी सरकार एक बार फिर किसानों को ‘राजनैतिक लॉलीपॉप’ दिखाकर नए जुमले गढ़ रही है। सच तो यह है कि किसान 49 महीने के ‘मोदीकाल’ में किसान ‘काल का ग्रास’ बनने को मजबूर हो गया है। किसान को न समर्थन मूल्य मिला, न मेहनत की कीमत। न कर्ज से मुक्ति मिली, न किसान के अथक परिश्रम का सम्मान। न खाद/कीटनाशक दवाई/बिजली/डीज़ल की कीमतें कम हुईं और न ही हुआ किसान को फसल के सही बाजार भावों का इंतजाम। अन्नदाता किसान का पेट केवल ‘जुमलों’ और ‘कोरे झूठ’ से भर सकता क्या ?
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