रायपुर। गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा है कि राज्य सरकार पुलिस कर्मियों की सभी बुनियादी जरूरतों को संवेदनशीलता और सहृदयता के साथ पूर्ण कर रही है। उन्होंने कहा- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में सरकार नक्सल मोर्चे पर तैनात पुलिस जवानों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों में पदस्थ पुलिस कर्मियों के लिए भी आवश्यक सुविधाओं में वृद्धि कर रही है और उन्हें हर संभव बेहतर से बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं।
श्री पैकरा ने इन सुविधाओं का उल्लेख करते हुए यह भी बताया कि राज्य शासन द्वारा पुलिस कर्मचारियों की लगातार कठिन और चुनौतीपूर्ण ड्यूटी को ध्यान में रखकर उन्हें एक महीने का अतिरिक्त वेतन भी दिया जा रहा है। साथ ही उनके लिए 15 दिनों के विशेष आकस्मिक अवकाश का भी प्रावधान किया गया है, जो शासन द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न अवकाशों से अलग है।
इसे केवल पुलिस कर्मचारियों को ही दिया जाता है। पुलिस बल को आधुनिक संसाधनों से भी सुसज्जित किया जा रहा है, ताकि वे अपनी ड्यूटी और भी प्रभावी ढंग से कर सकें।
श्री पैकरा ने बताया -पुलिस कर्मचारियों को सेवा में आगे बढऩे के लिए एक निश्चित और समयबद्ध अवसर देने के उद्देश्य से दस वर्ष सेवा पर प्रथम उच्चतर वेतनमान और बीस वर्ष की सेवा पर द्वितीय उच्चतर वेतनमान देने का भी प्रावधान किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2006 से आरक्षक संवर्ग से निरीक्षक स्तर तक के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में हर महीने 650 रूपए के राशन भत्ते का भी प्रावधान किया है।
श्री पैकरा ने बताया-बस्तर राजस्व संभाग के पुलिस कर्मचारियों के लिए 23 जुलाई 2013 से बस्तर भत्ते में वृद्धि की गई है। इसके अंतर्गत वर्तमान में विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों को 350 रूपए से 600 रूपए तक मासिक बस्तर भत्ता मिल रहा है। गृहमंत्री ने बताया कि शहीद पुलिस कर्मियों के आश्रितों के लिए विशेष अनुग्रह अनुदान राशि का भी प्रावधान किया गया है।
इसके अंतर्गत पहले पांच लाख रूपए दिए जाते थे, जिसे एक अप्रैल 2010 से बढ़ाकर 15 लाख रूपए कर दिया गया है।
श्री पैकरा ने बताया कि राज्य सरकार पुलिस कर्मियों के लिए मकानों की जरूरतों को भी गंभीरता से पूरा कर रही है। इसके लिए पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन भी बनाया गया है। राज्य निर्माण के समय छत्तीसगढ़ में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सिर्फ पांच हजार 276 आवास गृह उपलब्ध थे, जबकि आज की स्थिति में इनकी संख्या बढ़कर 14 हजार 283 हो गई है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पुलिस कर्मियों के लिए दस हजार नये मकान निर्माण की कार्रवाई भी प्रक्रियाधीन है। जिन पुलिस कर्मचारियों को सरकारी मकान की सुविधा नहीं मिल सकी है, उन्हें 22 फरवरी 2010 से शहरों के वर्गीकरण के आधार पर क्रमश: दस प्रतिशत, सात प्रतिशत और 30 प्रतिशत मकान किराया भत्ता दिया जा रहा है।
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