नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट की दरों की घोषणा कर दी है। बुधवार को आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है (RBI EMI Rate Increased)। मौद्रिक नीति समिति ने इसमें 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हो गया है। मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में यह पहली बार है, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की है।
भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद आम आदमी के लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो सकता है। इसके साथ ही ईएमआई पर ब्याज का बोझ देखने को मिल सकता है।
रेपो रेट के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को 6 फीसदी कर दिया गया है। मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के पक्ष में वोट किया। इससे पहले रॉयटर्स पोल ने संभावना जताई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट में कटौती नहीं करेगा। पोल में कहा गया था कि आरबीआई इसे अगस्त के लिए टाल सकता है।(RBI EMI Rate Increased)
इस पोल में 56 अर्थशास्त्री शामिल हुए थे। इनमें से 26 ने संभावना जताई थी कि आरबीआई रेपो रेट में इस बार बढ़ोतरी करेगा। हालांकि अन्य इसकी संभावना से इनकार किया था। फरवरी से पहले दिसंबर और अक्टूबर में भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। दरअसल इस दौरान महंगाई की वजह से यह फैसला लिया गया था। इस वक्त रेपो रेट को 6 फीसदी पर ही रखा गया था।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर बैंक आरबीआई से लोन उठाते हैं। दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं। आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है। यही रेट रेपो रेट कहलाता है। इसे हमेशा भारतीय रिजर्व बैंक ही तय करता है।
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