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कानपुर एनकाउंटर: विकास दुबे पर हैं 60 FIR, राजनाथ सरकार में मंत्री की थाने में घुसकर की थी हत्या

कानपुर में हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने गई पुलिस टीम को बदमाशों ने चारों तरफ से घेर लिया. उनपर अंधाधुंध फायरिंग की गई जिसमें एक क्षेत्राधिकारी यानी डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई. जबकि अन्य सात पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. ये मामला कानपुर देहात के शिवली थाना इलाके के बिकरू गांव का है. जहां पुलिस की टीम हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई थी. इस घटना को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह से बात की है.

विकास दुबे वही अपराधी है, जिसने 2001 में राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री का दर्जा पाए संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी. विकास के खिलाफ 60 केस दर्ज हैं.



साल 2000 में विकास दुबे पर कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या का आरोप लगा था. इसके अलावा साल 2000 में ही उस पर कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में रामबाबू यादव की हत्या मामले में जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप लगा था.

साल 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे हत्या मामले में भी विकास पर आरोप है. वहीं 2018 में अपने ही चचेरे भाई अनुराग पर विकास दुबे ने जानलेवा हमला करवाया था. इस दौरान भी विकास जेल में बंद था और वहीं से सारी साजिश रची थी. इस मामले में अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था.



बताया जाता है कि उत्तरप्रदेश में सभी राजनीतिक दलों के ऊपर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की पकड़ है. साल 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए. गैर कानूनी तरीके से काफी सारी संपत्ति बनाई. इस दौरान बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में विकास दुबे का दबदबा था.

विकास दुबे जेल में रहते हुए शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव जीत चुका है.

गुरुवार को क्या हुआ?
बताया जा रहा है कि बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्र, शिवराजपुर के एसओ महेश यादव, दो सब इंस्पेक्टर और 4 सिपाही शहीद हो गए. इसके अलावा सात पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है. उत्तर प्रदेश के डीजीपी एचसी अवस्थी ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ कुछ दिन पहले हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया था.



पुलिस विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी. जैसे ही फोर्स गांव के बाहर पहुंची तो वहां जेसीबी लगा दी गई. इस वजह से फोर्स की गाड़ी गांव के अंदर नहीं जा सकी.

डीजीपी एचसी अवस्थी ने बताया कि गाड़ी अंदर जाने के कारण पुलिसकर्मी गांव के बाहर ही उतरे. तभी पहले से घात लगाए बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस की ओर से भी जवाबी फायरिंग की गई. बदमाश ऊंचाई पर थे. इस वजह से कई पुलिसकर्मियों को गोलियां लगी है और 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए हैं.

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