रायपुर। 1994 में मप्र की तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने शिक्षाविभाग के मूल पदों पर भर्तियों को स्थगित कर जो शिक्षाकर्मी कल्चर का प्रादुर्भाव किया था, उस काले अध्याय की समाप्ति आज शिवराजसिंह सरकार ने कैबिनेट में अध्यापकों का संविलियन कर खत्म कर दिया है। मप्र और छग दोनो जगह पर संविलियन के लिए लगातार आंदोलन किये गए। लम्बे सँघर्ष पश्चात आज मप्र के अध्यापकों ने राहत की सांस ली है।
शिक्षक पँ ननि मोर्चा के प्रांतीय संचालक और पैराशिक्षक के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में मप्र जाकर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले विरेन्द्र दुबे ने इसे सँघर्ष की जीत बताते हुए कहा कि –
“पसीने की स्याही से जो लिखते है,अपने इरादों को,
उनके मुकद्दर में पन्ने कभी कोरे,नहीं हुआ करते।”
यह जीत मप्र के संघर्षशील साथियों की है, अब हमारी बारी है,हम भी अपने मिशन पर कामयाब होंगे। संविलियन के संकल्प से संकल्पित प्रदेश का हर शिक्षाकर्मी संविलियन पाकर ही दम लेगा।मुख्यमंत्री जी अब छग में बिना देर किए संविलियन, वेतन विसंगति, क्रमोन्नति, अनुकम्पा, सहित हमारी 9 सूत्रीय मांगों को पूर्ण करे।
शिक्षक पँ ननि मोर्चा के उपसंचालक धर्मेश शर्मा,चंद्रशेखर तिवारी और जितेन्द्र शर्मा,डॉ सांत्वना ठाकुर ने भी मप्र के सभी संघर्षरत अध्यापकों को बधाई प्रेषित करते हुए कहा कि- जिस दिन छग के हमारे समस्त सँघर्षशील शिक्षाकर्मी साथियो को संविलियन सहित हमारी 9 सूत्रीय मांग पूर्ण होगी, छग में होली और दिवाली एक साथ मनाई जाएगी। मुख्यमंत्री जी अब बिना देर किए छग में भी इस कर्मी कल्चर के काले अध्याय को खत्म करें और गुरु की गरिमा स्थापित कर स्वर्णिम इतिहास लिखें।महापंचायत और संविलियन संकल्प सभा एक बानगी मात्र है यह दिखाने के लिए कि प्रदेश के 180000 शिक्षाकर्मी अपने संविलियन प्राप्ति के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।
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