आयरलैंड में भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार की मौत के छह साल बाद देश के गर्भपात कानून में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। यहां के लोगों ने रूढ़िवादी कैथोलिक कानून में बदलाव के पक्ष में मतदान किया है। पीएम लियो वराड़कर ने देश के ऐतिहासिक जनमत संग्रह के परिणाम की घोषणा की। परिणाम के अनुसार 66 प्रतिशत से अधिक लोगों ने गर्भपात के खिलाफ संशोधन को निरस्त करने के पक्ष में मतदान किया। इस जनमत संग्रह परिणाम के बाद देश के 35 साल पुराने संविधान में एक भारतीय महिला की मौत के छह साल बाद बड़ा बदलाव होगा।
पीएम ने कहा, ‘लोगों ने अपनी बात रखी है। लोगों का कहना है कि आधुनिक देश के लिए आधुनिक संविधान होना चाहिए।Ó आयरलैंड में अब गर्भपात को कानूनी मान्यता मिल जाएगी। मालूम हो कि भारतीय मूल की गर्भवती महिला सविता हलप्पनवार की 2012 में इसलिए मौत हो गई थी क्योंकि वहां पर सख्त कैथोलिक कानून के चलते उन्हें गर्भपात की अनुमति नहीं मिली थी। आयरलैंड में साल 2013 में इस कानून में आंशिक बदलाव हुए, लेकिन अब इस कानून को बदलने के लिए जनमत संग्रह का सहारा लिया गया है। पीएम लियो वरड़कर के मुताबिक यह परिणाम महिला अधिकारों के इतिहास में बड़ा कदम साबित होंगे।
उल्लेखनीय है कि भारतीय मूल की 31 वर्षीय सविता हलप्पनवार को 2012 में गर्भावस्था के दौरान कुछ परेशानी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगडऩे पर उन्होंने डॉक्टरों से गर्भपात का आग्रह किया, लेकिन डॉक्टरों ने कानून का पालन किया। बाद में सविता का सेप्सिस गर्भपात हुआ और एक सप्ताह बाद ही उनकी मौत हो गई। गर्भ गिरने के बाद डॉक्टरों को अहसास हुआ कि उनके खून में संक्रमण था और सेप्सिस बढऩे के चलते दिल का दौरा पड़ा। उनके पति ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने यदि समय रहते गर्भपात कर दिया होता तो सविता की जान बच सकती थी।
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