कोलकाता। देश में थर्मल पावर की बढ़ती मांग और उसके मुताबिक कोयले की सप्लाई में कमी के चलते बिजली की कीमतें दो साल के उच्चतम स्तर 6.20 रुपये प्रति यूनिट पर पहुंच गई हैं। कुछ दिन और यदि यही हाल रहा तो कई राज्यों के नागरिकों को बिजली का अधिक भुगतान करने के लिए तैयार रहना होगा। इससे पहले बिजली की प्रति यूनिट 6 रुपये कीमत 2016 में पहुंची थी। पिछले सप्ताह की ही बात करें तो यह कीमत 4 रुपये प्रति यूनिट थी, लेकिन गर्मी बढऩे पर मांग में इजाफा हुआ और उसके मुताबिक कोयले की सप्लाइ न होने के चलते इसकी कीमत एक सप्ताह के भीतर 2 रुपये ज्यादा हो गई।
पश्चिमी भारत से बिजली को उत्तर भारत के राज्यों में भेजने वाली ट्रांसमिशन लाइन फेल होने और उत्तरी राज्यों की ओर से थर्मल पावर की मांग में इजाफा होने के चलते सोमवार को कई राज्यों में प्रति यूनिट कीमत 8 रुपये तक पहुंच गई थी। फिलहाल यह कीमत अब 7.43 रुपये प्रति यूनिट है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि यह अधिक कीमत लंबे समय तक बनी नहीं रहेगी। स्पॉट मार्केट से बिजली खरीदने वालीं गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र और तमिलनाडु की वितरण कंपनियों को सप्लाइ के लिए बिजली कम मिल रही है। यदि उन्हें अधिक कीमत पर बिजली मिलती है तो फिर उसका बोझ इंडस्ट्रियल और घरेलू ग्राहकों पर भी पडऩा तय माना जा रहा है। हालांकि उपभोक्ताओं का बिजली बिल कुल कितना बढ़ेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि राज्य की बिजली कंपनियां अपनी खरीद का कितना बोझ कन्जयूमर पर डालना चाहती हैं। एक राज्य विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी ने कहा कि अधिकतर मामलों में कंपनियों की ओर से बोझ उपभोक्ताओं पर ही डाल दिया जाता है।
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