जगदलपुर। पहले मधुमक्खिों का नाम सुनकर ही ग्रामीण इससे कतराने लगते थे और दूर भागते थे, उस समय शायद इन लोगों को यह पता नहीं था कि मधुमक्खी भी कभी आय का जरिया बन सकता है। जब ग्रामीणों को यह बात समझ में आई तो धीरे-धीरे उसका पालन करने लगे और अब इससे अच्छा खासा लाखों का मुनाफा भी कमा रहे हैं। यह कहानी है बस्तर जिले के ग्राम जीरागांव की जहां के ग्रामीणों ने बस्तर में एक नया व्यापार का क्षेत्र तथा रोजगार का आदर्श प्रस्तुत किया है। उल्लेखनीय है कि जीरागांव के अंतर्गत आसपास के कई गांव में इन दिनों मधुमक्खी का पालन जीरागांव वनप्रबंधन समिति के दिशा-निर्देश पर मधुमक्खी पालन समिति बनाकर किया जा रहा है। इसके अंतर्गत समिति ने पश्चिम बंगाल से विशेष मधुमक्खियों का आयात किया और बंगाल से ही आये प्रशिक्षक के निर्देशानुसार गत चार माह में मधुमक्खियों का पालन कर उक्त शहद उत्पादित कर लाखों रूपये कमाएं हैं।
बंगाल से आये हुये प्रशिक्षक ने बी समिति के 36 पुरूष सदस्यों सहित 12 महिला सदस्य को मधुमक्खी का पालन सिखाया है। जब कि पहले यह ग्रामीण मधुमक्खियों को देखकर दूर भागते थे, लेकिन आज उनका पालन कर रहे हैं। इस संबंध में सोसायटी के सदस्यों ने बताया कि इस समय जीरागांव में 70, माचकोट, कावापाल तथा कालागुड़ा में 60-60 की संख्या में मधुमक्खी पालन के लिये बक्से रखे गये हैं। इन बक्सों में पिछले चार माह में लगभग छह क्विंटल शहद का उत्पादन कर प्रतिकिलों 350 रूपये से किलो की दर पर बेचकर दो लाख रूपये से अधिक की कमाई की जा चुकी है। प्रशिक्षक ने बताया कि उनकी बताई गई विधि से प्रशिक्षण प्राप्त कर ग्रामीण बड़ी जंगली मधुमक्खी के छत्तों से भी शहद निकालकर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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