छत्तीसगढ़

नई फसल के साथ ही बस्तर में ‘मुर्गा लड़ाई’ की धूम

जगदलपुर। बस्तर में इन दिनों दियारी त्यौहार की धूम है और नयी फसल आने के उपलक्ष्य में बस्तर के सभी गांव अपने-अपने तरीके से खुशियां मना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आमोद-प्रमोद के लिए ग्रामीण मुर्गा लड़ाई का शौक भी पूरा कर रहे हैं। इसके चलते बस्तर के सभी गांवों में मुर्गा लड़ायी का दृश्य आम हो गया है।
मुर्गा लड़ाई में यहां ग्रामीण अपना मनोरंजन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर इन मुर्गा लड़ाई के स्थलों पर हजारों से लेकर लाखों के दांव लगने से ग्रामीण कंगाल भी हो रहे हैं। मुर्गा लड़ाई की यह संस्कृति बस्तर में पहले प्रतीक रूप में होती थी लेकिन अब इसमें जुए की शक्ल ले ली है और ग्रामीण शराब के नशे में अपनी वर्ष भर की पूंजी को मुर्गा लड़ाई के माध्यम गंवा रहे हैं। मुर्गा लड़ाई का यह आलम है कि एक ही बाजार में 3 से 4 जगह मुर्गा लड़ाई का अखाड़ा सजता है और लड़ाई के इन स्थलों पर मादक दृव्यों की बिक्री खुले आम होती है।
उल्लेखनीय है कि बस्तर में पहले सीमित स्तर पर मुर्गा लड़ाई का आयोजन होता था और गांव में थोड़ी देर मनोरंजन के लिए ग्रामीण इसमें रूचि लेते थे लेकिन अब इसने व्यापक रूप ले लिया है, जिसका नतीजा यह हो रहा है कि मुर्गा लड़ाई के आयोजकों की धूर्तता से ग्रामीण जुए के समान दांव लगाकर अपना सबकुछ लुटा रहे हैं। इस मुर्गा लड़ाई में न केवल मुर्गों की मौत होती है बल्कि आसपास देखने वालों को भी खतरा बना रहता है और कभी कभी तो लोगों की मौत भी हो जाती है। इसे रोकने के लिए प्रशासन सहित पुलिस का हस्तक्षेप आवश्यक हो गया है।

Back to top button
close