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CG – धर्मांतरण विवाद में नया मोड़, कब्र से निकाली गई धर्मांतरित व्यक्ति की लाश, जताई जा रही ये आशंका

कांकेर। दुर्ग में धर्मांतरण के आरोप में दो ननों की गिरफ्तारी पर सियासत गरमा गयी है। तो वहीँ दूसरी तरफ कांकेर जिले में ईसाई धर्म अपनाने वाले युवक के शव को दफनाने के लिए दो पक्षों में जमकर बवाल हुआ। मामले इतना बढ़ा कि एसडीएम और पुलिस की मौजूदगी के कब्र खोदकर लाश को निकालना पड़ा। अब इस मामले में नया मोड़ ले लिया है। मृतक के भाई ने हत्या की आशंका जताई है।

क्या है मामला

मामला नरहरपुर थाना क्षेत्र का है। नरहरपुर ब्लाक अंतर्गत जामगांव निवासी सोमलाल राठौर आदिवासी थे। जो 3 साल पहले धर्मांतरण के बाद ईसाई बन गए थे। सोमलाल राठौर की तबियत ख़राब थी। 26- 27 जुलाई की दरमियानी रात बीमारी के कारण उसका निधन हो गया था। निधन होने पर उनके बेटे और पत्नी ने उसके शव अस्पताल से लाकर खेत जामगांव नाला के पास ईसाई धर्म से दफना दिया था।

ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

जब गांव वालों को इसकी जानकारी लगी तो गांव के लोग दफन गए स्थल पर एकत्रित हो गए और जमकर हंगामा किया। ग्रामीणों का कहना था कि किसी को कहीं भी नहीं दफना सकते हैं श्मशान घाट में ही दफनाना चाहिए था। साथ ही हिन्दू के गांव में ईसाई का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता। शव को कब्रिस्तान में दफनाना चाहिए। इसे लेकर खूब बवाल हुआ। दफन किए गए शव को निकाल कर अपने कब्रिस्तान में दफनाने की मांग की गई।

इसे लेकर सोमवार को 1000 की भीड़ चर्च पहुंची और जमकर तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर पहुंचे और ईसाई धर्म अपनाने वाले लोगों की घरों में तोड़फोड़ करने लगे। शव को कब्र से निकालकर गांव से दूर दफन करने की मांग की जाने लगी। पुलिस ने समझाने की कोशिश की लेकिन धीरे धीरे ग्रामीणों का विरोध हिंसक हो गया। ग्रामीण धरने पर ही बैठे रहे।

दूसरी तरफ मामले ने नया मोड़ लिया है। मृतक के भाई बहनों ने ह्त्या की आशंका जताई है। भाई की मौत के बाद उन्हें सूचना दिए बगैर दफना दिया गया जो कि संदेहास्पद हैं। उन्होंने कार्रवाई की मांग की। जिसके बाद पुलिस ने एसडीएम की मौजूदगी में शव को कब्र से बाहर निकाला गया। शव को मर्च्यूरी में रखवाया है। शव को निकालकर पोस्टमार्टम करवाया जायेगा। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

शव दफनाने को लेकर विवाद जारी

बता दें, गांव में ईसाई समुदाय के लोग पहले नहीं रहते थे। आदिवासी ही ईसाई धर्म में धर्मांतरित हुए हैं। जिसके चलते गांव में इनका कब्रिस्तान नहीं है और शव दफनाने को लेकर लगातार विवाद होते आ रहा है इससे पहले भी गांव में कई बार विवाद हो चुका है।

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