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सावन के पहले सोमवार पर भूतेश्वरनाथ धाम में उमड़ा आस्था का सैलाब, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

गरियाबंद। सावन मास की पवित्र बेला में आज स्वयंभू शिवलिंग भगवान भूतेश्वरनाथ के धाम में आस्था का महासैलाब उमड़ पड़ा। दूर-दराज से आए कांवड़ियों, साधुओं और परिवारों का ताता सुबह से ही जलाभिषेक और पूजा-अर्चना में व्यस्त रहा।

स्वयंभू शिवलिंग की दिव्यता

स्थानीय पुरोहितों के अनुसार यह शिवलिंग ‘स्वयंभू’ है—प्रकृति के गर्भ से स्वयं प्रकटित। हर वर्ष इसकी ऊँचाई और परिधि बढ़ती जा रही है; वर्तमान में इसका आयाम लगभग 80 फ़ीट ऊँच और 210 फ़ीट परिधि पहुँच चुका है, जो भक्तों के अटूट विश्वास का प्रतीक है।

जलाभिषेक और जयघोष

रिमझिम बारिश के बीच “हर-हर महादेव” और “बोल बम” के उद्घोष गूँज रहे थे, जब श्रद्धालुओं ने गंगाजल से महादेव का रुद्राभिषेक किया। अनेक कांवड़िये दशकों पुरानी परंपरा के अनुरूप मस्तक पर कांवड़ ढोते हुए पैदल आए और अपनी-अपनी मनोकामनाएँ शिव चरणों में अर्पित कीं।

“यहाँ का अनुभव आत्मा को शांति देता है—लाइफटाइम में कभी नहीं मिला ऐसा आध्यात्मिक उल्लास,”
बताते हैं एक सत्संगी।

सेवा का धर्म

श्री भूतेश्वरनाथ युवा भंडारा समिति के सदस्यों ने सुबह ही विशाल रसोई में पुलाव–चना–हलवा एवं प्राथमिक चिकित्सा किट की व्यवस्था कर रखी थी। इस सावन सोमवार को करीब 10,000 श्रद्धालुओं को निःशुल्क प्रसाद एवं प्राथमिक उपचार प्रदान किया गया, जिससे भक्ति और सेवा का सुंदर मेल देखने को मिला।

मनोकामनाओं की सिद्धि

श्रद्धालु मानते हैं कि जो भी सच्चे हृदय से भूतेश्वरनाथ के चरणों में जल अर्पित कर प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। यहाँ आए कई परिवारों ने अपने आरोग्य, समृद्धि और सुख-शांति के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना की।

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