रायपुर। मंत्रालय में उस वक्त सनसनी मच गई जब स्वचालित हथियारों से लैस कमांडोज की टुकड़ी ने बिल्डिंग को अपने कब्जे में ले लिया। इस टुकड़ी में बम स्क्वाड, डॉग टीम भी शामिल थी। ये कोई साधारण कमांडोज नहीं बल्कि नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के ब्लैक कैट कमांडोज थे। टीम के सभी कमांडोज ने हर कमरे का बारीकी से मुआयना किया, फार्मेशन में हर कमरे की तलाशी ली। टीम ने पूरी बिल्डिंग की तलाशी ली।
दरअसर रायपुर में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए NSG ने बुधवार को मॉकड्रिल किया। सबसे पहले नवा रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में कमांडोज पहुंचे। यहां मंत्रियों और प्रदेश सरकार के अधिकारियों का आना-जाना होता है। एनएसजी की टीम ने इस पूरी बिल्डिंग को अपने कब्जे में लिया, हर माले पर जाकर चेकिंग की गई।
इसके बाद कमांडोज की टुकड़ी मंत्रालय परिसर में पहुंची। यहां भी मंत्रालय बिल्डिंग के मुख्य हिस्सों की जांच की। टीम ने ये देखा कि यदि कुछ लोगों को बंधक बना लिया जाए तो टीम इस बिल्डिंग में कैसे ऑपरेट करेगी। फायरिंग की दशा में क्या हालात बन सकते हैं। इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कमांडोज ने इन हिस्सों में ट्रेनिंग की।
NSG के कमांडोज जब इस तरह की मॉकड्रिल करते हैं तो युद्ध जैसे हालातों को ध्यान में रखकर प्रैक्टिस करते हैं। कमांडोज को काल्पनिक सिचुएशन दी जाती है। जैसे मंत्रालय के चौथे माले के 15वें कमरे में आतंकियों ने 20 लोगों को बंधक बनाया है उन्हें लेकर सुरक्षित लौटना है। कमांडोज को इसके लिए तय समय सीमा में बिल्डिंग में सीढ़ियों के रास्ते या रस्सियों के सहारे पहुंचकर एक्शन करना होता है। सिक्योरिटी में आने वाले मुश्किलों को रिव्यू किया जाता है। खबर है कि रायपुर में कुछ भीड़-भाड़ के हिस्सों में भी कमांडोज प्रैक्टिस करेंगे।
NSG के तीन दिवसीय ड्रिल का मुख्य उद्देश्य रायपुर में आतंकी हमला होने और होस्टेज सिचुएशन से निपटने राज्य पुलिस व NSG की तैयारी का अभ्यास करना है। इस अभ्यास में मुंबई एवं दिल्ली के 150 से अधिक NSG ब्लैक कैट कमांडो हिस्सा ले रहे हैं। राज्य की ओर से रायपुर पुलिस के 200 से अधिक अधिकारी व जवान तथा स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की दो टीम हिस्सा ले रही है।
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