दिल्ली। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए आज मंगलवार का दिन बेहद अहम है। सरकार विधानसभा में समान नागरिक संहिता पेश करेगी।
रविवार को कैबिनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी। यदि विधेयक पारित हो गया और कानून लागू हो गया तो उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। यह कानून सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा। यानी यह विधेयक विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे मामलों में एक देश और एक कानून की परिकल्पना को साकार करेगा। फिलहाल कांग्रेस नाराज है। कांग्रेसी विधायक सदन में हंगामा कर सकते हैं।
यूसीसी को असम और मध्य प्रदेश सहित कई अन्य भाजपा शासित राज्य भी लाने में रुचि दिखा रहे हैं। पुर्तगाली शासन के अधीन होने के बाद से ही गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है।
पीएम मोदी ने कहा था- देश दो कानूनों से नहीं चलेगा
पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता। वहीं, सोमवार को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि समान नागरिक संहिता परामर्श प्रक्रिया में है और भारत के विधि आयोग द्वारा इसकी समीक्षा की जा रही है। ‘यह सिर्फ केंद्र सरकार का मुद्दा नहीं है, जब संविधान बनाया जा रहा था तब भी संविधान निर्माताओं ने इस पर चर्चा की थी।
धामी बोले- कई राज्य उत्तराखंड मॉडल को अपनाएंगे
सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने यूसीसी का एक मसौदा तैयार किया है। समिति ने मसौदा तैयार करने के लिए विभिन्न वर्गों के 2 लाख से अधिक लोगों से बात की। 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कई राज्य उत्तराखंड मॉडल अपनाएंगे।
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