बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में बिलासपुर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को फैसले को सार्वजनिक करते हुए रिट पीटिशन खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद संसदीय सचिवों का पद बरकरार रहेगा। कोर्ट ने कहा है कि मामले में अंतरिम आदेश स्थाई रुप से जारी रहेगा. यानि कि संसदीय सचिवों को मंत्रियों वाले कोई अधिकार और सुविधा नही मिलेगी। मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने फैसले में कहा है कि संसदीय सचिव पद, जो कि मंत्री के समतुल्य है, उसे राज्यपाल ने शपथ नहीं दिलाई और न ही उनका निर्देशन है. इसलिए इन्हें मंत्रियों के कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं. हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डबल बैंच ने आज सुबह करीब दस बजकर चालीस मिनट पर फैसला सार्वजनिक किया। बता दें कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अकबर और हमर संगवारी संस्था की तरफ से राकेश चौबे ने याचिका दायर की गई थी।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के पास भी इस मामले में शिकायत की गयी थी. दायर याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद अब निगाहें फैसले पर टिकी थी। छत्तीसगढ़ में भी 11 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है. 90 विधानसभा सीट वाले छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल भाजपा के पास 49 विधायक हैं. इनमें से 11 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है। वहीं हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि ये तो होना ही थी। कोर्ट ने न्याय किया है। वहीं कोर्ट के इस निर्णय पर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने नियुक्ति को अवैधानिक करार देते हुए कहा कि 13 मंत्रियों के अलावा सरकार ने गैरकानूनी रूप से 11 अतिरिक्त मंत्री रखे हैं।
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