श्रीहरिकोट। जिस घड़ी का बेसब्री से सभी भारतवासी इंतजार कर रहे थे, आखिर वह आ ही गई। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया। इस ऐतिहासिक पल के गवाह केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और इसरो के पूर्व चीफ के सिवन भी रहे। दुनिया की नजरें इस मिशन पर टिकी हुई हैं।
मिशन चंद्रयान-3 की सफलता से अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग (Moon Mission Landing) की महारत हासिल की है। इसरो ने कहा कि ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण के लिए 25.30 घंटे की उल्टी गिनती बृहस्पतिवार को शुरू हो गई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 मून मिशन को लॉन्च किया। चंद्रयान-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। इसका वजन करीब 3,900 किलोग्राम है। इसके 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरने की संभावना है।
लैंडर-रोवर का नाम विक्रम और प्रज्ञान ही रखा गया
चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ ही रहेगा। रोवर के भीतर ही लैंडर मौजूद है। 615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य भी चंद्रयान-2 की तरह ही है। इसके जरिए चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना है। खासतौर पर चांद के सबसे ठंडे इलाके की जानकारी जुटाना। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जा रहे हैं। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे। चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना की भी स्टडी होगी।
चुनौतियां भी कम नहीं हैं
चंद्रयान-3 के सामने चुनौतियां भी काफी हैं। सबसे बड़ी चुनौती अनजान सतह पर लैंड करना है। यह एक ऑटोनॉमस प्रक्रिया है जिसके लिए कोई कमांड नहीं दी जाती। लैंडिंग किस तरह होगी, यह ऑन-बोर्ड कंप्यूटर तय करता है। अपने सेंसर्स के हिसाब से लोकेशन, हाइट, वेलोसिटी वगैरह का अंदाजा लगाकर कंप्यूटर फैसला लेता है। चंद्रयान-3 की सॉफ्ट-लैंडिंग सटीक और सही होने के लिए कई तरह के सेंसर्स का एक साथ ठीक काम करना जरूरी है।
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होगी। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसने चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग की होगी। हाल के वर्षों में इसरो ने खुद को दुनिया की लीडिंग स्पेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया है। चांद पर सफल मिशन से उसकी साख और मजबूत होगी।
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