भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय अब कांग्रेस नेता बन गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल औैर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की मौजूदगी में साय ने कांग्रेस का दामन थामा। साय के इस्तीफे के बाद से ही भाजपा में हलचल मच गया था उनके दल के नेता उन्हें खोजते रहे लेकिन वे कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद ही अपने घर लौटे। किन परिस्थितियों में उन्हें भाजपा छोड़नी पड़ी औैर कांग्रेस में क्यो आए इस पूरे मसले पर उन्होंने भास्कर से विस्तार से बातचीत की। पेश है उनसे बातचीत के कुछ खास अंश..
भाजपा नेता आपको ढूंढ रहे थे पर आप उन्हें नहीं मिले, कहां थे? – इस्तीफा देने के बाद कुछ भी परिस्थिति बन सकती थी। इसलिए हम एक जगह थे।
आपकी बाल कटाने वाली कसम का क्या होगा ? – मैंने कुछ भी नहीं कहा था, मेरे बदले रामविचार नेताम ने सारी बातें कह दी थी। अब यदि उन्हें दांव लगाना था तो अपनी चीजों पर लगाते। मेरी चीज पर आखिर कैसे दांव लगाया। किनके कारण पार्टी छोड़नी पड़ी? – जो नेता मौजूदा समय में संगठन को संभाल रहे हैं उनकी जिम्मेदारी थी। मैं लगातार संपर्क करता रहा, मगर मेरी बातों को ध्यान नहीं दिया गया। अब काम करने वाले आदमी को इस तरह बैठा दिया जाए तो यह दुखद है। दिल्ली के नेताओं ने मेरी बात नहीं सुनी।
क्या रमन सिंह से भी कोई परेशानी रही? -नहीं रमन सिंह से मुझे कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री औैर संगठन के महत्वपूर्ण पद पर होने के नाते उनकी भी जिम्मेदारी बनती थी। वह चीजों को ठीक करते।
सीधे इस्तीफा क्यों दे दिया ? – मैंने दिल्ली और प्रदेश के नेताओं से कई बार बातचीत के लिए समय मांगा। अपने विषय उन्हें बताए, मगरमुझे जवाब दिया जाता कि हां देखेंगे, बात करेंगे। किसी ने मुलाकात का समय ही नहीं दिया। मैं एक साल से इस प्रयास में था मगर मेरी बात नहीं सुनी गई।
भाजपा को हराने के लिए संकल्प लेंगे? – देखिए अब हम कांग्रेस पार्टी में हैं। तो हमारी प्राथमिकता होगी कि हम कांग्रेस के लिए काम करें और कांग्रेस जीते।
विधानसभा चुनाव लड़ेंगे क्या? – आने वाले दिनों में संगठन जैसा विचार करेगा जो परिस्थितियां बनेंगी उस हिसाब से जिम्मेदारी मिलेगी। मैं किसी पद के लालच में कांग्रेस में नहीं आया। उन्होंने यह भी कहा कि कुनकुरी, तपकरा, पत्थलगांव या उधर की किसी आरक्षित सीट से टिकट मिलेगी तो चुनाव लड़ेंगे।
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