कोरबा। पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत रामपुर में तीन मृत हितग्राही के नाम से प्रधानमंत्री आवास का निर्माण किया जा रहा है। बिना भौतिक सत्यापन के ही तीन किश्त में राशि जारी हो चुकी है। खाते दार के मृत्यु उपरांत राशि आहरण की गई है। गड़बड़ी में मॉनिटरिंग करने के लिए जिम्मेदार अफ सरों के सुध नहीं लिए जाने से निर्माण में भर्राशाही को प्रश्रय मिल रहा है। पीएम आवास निर्माण में बरती जा रही अनियमितता से इसकी भी दशा इंदिरा आवास योजना जैसे होने की संभावना नजर आ रही है। ग्राम पंचायत रामपुर में विभिन्न हितग्राहियों के नाम से आवास निर्माण की स्वीकृति मिली है। इनमें तीन महिलाएं ऐसी हैं जिनके नाम से आवास निर्माण की स्वीकृति के बाद इनकी मृत्यु हो चुकी है। मृतक महिलाओं में रूकमत बाई 78, बच्चन बाई 90 व शिवकुंवर 90 शामिल हैं। राशि भुगतान के लिए इन तीनों के नाम से भारतीय स्टेट बैंक में खाता खुला है। इन महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है। पहली किश्त जारी होने के बाद रूकमत बाई की मृत्यु हो गई। अब उसके नाम से भवन तैयार हो चुका है।
हैरत की बात यह है कि जब रूकमत की मृत्यु हो चुकी है, तो उसके नाम से राशि आहरण किसने किया। आवास पूर्णता के लिए किसकी फ ोटो आवास के साथ खींची गई है। नियमानुसार आवास निर्माण के दौरान हितग्राही की मृत्यु हो जाने पर ग्राम पंचायत से अनुमोदन के पश्चात सीईओ की अनुशंसा से परिजनों का नाम स्थानांतरित किया जाता है। नियम को ताक में रखकर आवास निर्माण में घालमेल किया जा रहा है। आवास निर्माण के लिए केवल मृतकों के नाम से राशि लेने की ही अनियिमितता नहीं है बल्कि ऐसे भी हितग्राही हैं, जिन्होंने भवन का निर्माण किया ही नहीं है। निर्माण काम पूरा होने के नाम पर पुराने आवास में लीपापोती कर फ ोटो खिंचवा कर राशि आहरण कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में अधिकारियों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ होने से अव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है। हितग्राहियों की मृत्यु होने के बाद भी राशि कैसे जारी हो गईए इस आशय से अब बैंक प्रबंधन पर सवाल उठने लगा है। जिस हितग्राही के नाम पर भवन होता है, उसी को राशि भुगतान का प्रावधान है। आवास निर्माण के लिए राशि किन परिस्थितियों मे बैंक से जारी की गई, इस बात को लेकर बैंक प्रबंधन पर भी सवाल उठने लगा है।
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