कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी पहली बार बस्तर दौरे पर आ रही हैं। जगदलपुर के लाल बाग मैदान में राज्य सरकार की तरफ से आयोजित ‘भरोसे का सम्मेलन’ कार्यक्रम में शामिल होकर जनसभा को संबोधित करेंगी। इस सम्मेलन में 1 लाख से अधिक लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा है।
प्रियंका के दौरे को लेकर PCC चीफ मोहन मरकाम और आबकारी मंत्री कवासी लखमा पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नगरीय निकाय मंत्री शिव डहरिया, शिक्षा मंत्री डॉ प्रेम साय सिंह टेकाम, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, समेत पार्टी के कई बड़े नेता शामिल होंगे। बुधवार शाम से ही नेताओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है।
छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। कयास लगाए जा रहे हैं कि, उनके दौरे दौरे के बाद कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मूड में नजर आएगी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं भी हिस्सा लेंगी। प्रियंका के दौरे को ऐतिहासिक बनाने के लिए कांग्रेस ने सभी तरह की तैयारी कर ली है।
प्रियंका के दौरे के सियासी मायने…
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बस्तर के आदिवासियों के लिए प्रियंका गांधी केवल एक कांग्रेस नेता नहीं, बल्कि इंदिरा की पोती भी हैं। लिहाजा आदिवासियों का भावनात्मक लगाव भी प्रियंका गांधी से जुड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ में इस वक्त बस्तर लोकसभा समेत विधानसभा की सभी 12 सीटों में कांग्रेस के विधायक हैं। और पार्टी इस बात को बखूबी जानती है की सत्ता तक जाने की राह आदिवासी बाहुल्य बस्तर से होकर ही गुजरती है। इसलिए चुनाव से पहले प्रियंका के दौरे से कांग्रेस अपनी जमीन और ज्यादा मजबूत करना चाहेगी। गांधी परिवार से इंदिरा, राजीव, सोनिया और राहुल गांधी भी बस्तर आ चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी आज बस्तर में
मुख्यमंत्री रमन सिंह भी आज बस्तर में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। रमन सिंह के बस्तर दौरे पर भूपेश बघेल ने तंज कसते हुए कहा है कि, अगर रमन सिंह मंच पर आना चाहते हैं तो आ सकते हैं।
पिछले महीने अमित शाह भी आये थे बस्तर
हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी CRPF के 84वां स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल होने लिए बस्तर पहुंचे थे। भले ही उनका यह दौरा CRPF के कार्यक्रम के लिए था। लेकिन इसके भी राजनीतिक मायने निकाले गए। और अब बस्तर में प्रियंका गांधी का कार्यक्रम है। ऐसे में कहा जा रहा है कि, कांग्रेस अपनी सियासी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहती है।
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