सूरत कोर्ट में गुरुवार सुबह से ही गहमागहमी थी. मानहानि केस में राहुल गांधी पर फैसला आना था. कोर्ट परिसर के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल रखा था. जमकर नारेबाजी हो रही थी. सुबह के करीब 11 बज रहे होंगे, जब राहुल गांधी पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ अदालत में दाखिल हुए. राहुल के पहुंचने के दो मिनट के भीतर अदालत ने उन्हें दोषी करार दे दिया. जब कोर्ट ने ये तय कर दिया कि राहुल गुनहगार हैं, तब सजा को लेकर दोनों ओर से बहस शुरू हुई.
राहुल गांधी को कठघरे में बुलाया गया. अदालत ने पूछा कि आपको क्या कहना है. तब राहुल ने कहा कि मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला, मेरे बयान से किसी को नुकसान नहीं पहुंचा. बाद में उन्होंने कहा कि ये बयान उन्होंने पॉलिटिकल लीडर की हैसियत से दिया. राहुल के बोलने के बाद कोर्ट की कार्यवाही आगे बढ़ी. कोर्ट में मौजूद राहुल गांधी के वकील ने कहा कि उन्हें दया नहीं चाहिए . वो माफी नहीं मांगेंगे.
सजा को लेकर बहस आगे बढ़ी तो राहुल गांधी के वकील ने कहा कि राहुल ने सियासी नेता की हैसियत से भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सांसद कानून तोड़ेंगे तो कैसे चलेगा. ये उनकी पहली गलती है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राहुल को 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी. फिर राहुल के वकील ने कहा कि उनके बयान से किसी को हानि नहीं पहुंची है. तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राहुल गांधी को सख्त सजा मिले. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील की दलील मान ली और राहुल को दो साल की सजा सुना दी.
उधर, राहुल गांधी के लिए सजा का ऐलान होते ही कोहराम मच गया. कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और सत्यमेव जयते का नारा बुलंद किया. तमाम सियासी शोर के बीच सवाल ये भी उठता रहा है कि अब राहुल क्या करेंगे. अब उनके पास विकल्प क्या हैं.
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