छत्तीसगढ़

बदहाली का दंश झेल रहा भरहीडी, सुविधाओं को तरस रहे ग्रामीण

चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। कोरिया जि़ले के विकासखंड सोनहत मुख्यालय के अंतिम छोर पर बसा ग्राम भरहीडी बदहाली का दंश झेल रहा है। आलम है कि यहां पर ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। उक्त ग्राम में सुलभ पहुंच सडक़ का सर्वदा आभाव रहा है। बरसात के दिनों में इस ग्राम में पहुंचना आसान नहीं रहता है। मूलभूत सुविधा का अभाव बना हुआ है। ग्राम स्तर पर शासन की योजनाएं पूरी तरीके से नहीं पहुंच पाने के कारण ग्रामवासीयों को बिजली, सडक़ और साफ पानी भी मयस्सर नहीं है जिससे अब ग्रामीण खुद अपनी नियति को कोसने लगे हैं।


शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे
भरहीडी के ग्रामीण अमर साय लाल साय मोहनराम दलबीर सोनालाल भईयालाल जीतनराम कमला अमृत सिह सुखराम रामसिह एवं अन्य ने जानकारी देते हुए बताया की ग्राम स्तर पर प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला दोनों है जिसमें शिक्षक भी पदस्थ है, लेकिन सुविधाओं के अभाव के कारण शिक्षक भी मजबूर हैं। माध्यमिक शाला भवन के अतिरिक्त कक्ष का निर्माण काफी वर्ष पूर्व शुरू हुआ था लेकिन वह निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और आज तक अधूरा है। साथ ही वही हाल प्राथमिक शाला में भी है। किचन शेड से लेकर शौचालय तक लंबे समय से अधूरे है जिन पर किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है। इसके अतिरक्त जिस भवन में वर्तमान में कक्षांए लग रही हैं, उनका छत एवं नीचे का फर्श भी कई जगह से टूटा हुआ है। फर्श का मरम्म्त करा दिया गया है लेकिन छत की हालत अभी भी जर्जर है। जिससे बच्चों व शिक्षकों को डर भी रहता है। ऐसी व्यवस्था से शिक्षा व्यवस्था का आंकलन भी स्वमेव सिद्ध है।


ढोंढी का पानी पीने मजबूर
ग्राम भरहीडी में नलकूप तो है तो लेकिन उसमें लाल पानी शिकायत होने के कारण ग्रामीण उसका उपयोग करने के बजाए ढोढ़ी के पानी पर ही पूरी तरीके से आश्रित है जिससे कई बार उन्हे बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। इसके अतिरक्त इस ग्राम में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी हाल बेहाल है। दूरस्थ अंचल होने के कारण यहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मी भी कम ही आना-जाना करते हैं। जिससे स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ यहां के निवासियों को नहीं मिल पाता है। बल्कि ग्राम के निवासी नीम हकीमों से इलाज कराने को मजबूर हैं।




वनभूमि पर बसा है ग्राम
ग्रामीणों ने बताया कि भर्रीडीह वन भूमि पर बसा हुआ है। राजस्व भूमि किसी के पास नहीं है। लम्बे समय से यहां निवास कर रहे हैं। लेकिन कई लोगों को वन अधिकार पत्र नहीं प्रदान किया गया है। जानकारी के अनुसार दिसंबर 2006 के पूर्व वन भूमि पर काबिज लोगों को वन अधिकार पत्र बनाकर दिया जाना था लेकिन यहाँ विभागीय उपेक्षा के कारण कुछ लोगों उक्त पट्टा नहीं प्रदान किया गया है। जानकारी के अनुसार गाँव में लगभग 47 घर है जिनके परिवार यहाँ वर्षों से निवास कर रहे है। ग्रामीणों की माने तो कई लोगों का जाती प्रमाण पत्र नहीं बनने से उन्हे परेशानी होने लगी है।
इनका कहना है
भरहीडी ग्राम के अधूरे निर्माण कार्यों का अवलोकन कर नियमानुसार कार्यवाही किया जावेगा।
– सुमन राज, एसडीएम सोनहत

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