भारत में कोरोना के केस पिछले कुछ समय से कम हुए थे कि फिर से कोविड-19 के मामलों की संख्या में इजाफा देखने मिल रहा है. कोविड-19 के साथ भारत में एच3एन2 (H3N2) है जो इन्फ्लुएंजा ए वायरस के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. यानी कि भारत में कोरोना और H3N2 दोनों के मामलों में उछाल आने से लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं.
महाराष्ट्र में कोरोना के मामलों की संख्या एक दिन में ही दोगुनी हो गई है और साथ ही 2 लोगों की मौत भी हुई है. एक तरफ कोरोना और दूसरी तरफ H3N2 के बढ़ते मामलों के कारण स्वास्थ विभाग ने उचित सावधानी रखने की सलाह दी है. अब लोगों के मन में यह सवाल है कि दोनों वायरस के खतरे से कैसे खुद को दूर रखा जाए? इस पर डॉक्टर्स की क्या राय है, यह भी जान लीजिए.
एच3एन2 वायरस के बारे में जानें
H3N2 इन्फ्लुएंजा ए वायरस का सब-टाइप है. H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस संक्रमित व्यक्ति से से खांसी या छींक के माध्यम से किसी स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचता है. H3N2 वायरस के संक्रमण के सामान्य लक्षण फ्लू की तरह हैं. इस वायरस की चपेट में आने पर बुखार या तेज ठंड लगना, खांसी, गले में खराश, नाक बहना या कुछ मामलों में नाक बंद होना, सिरदर्द और थकान है. कुछ मामलों में उल्टी या दस्त भी हो सकते हैं. सांस लेने में कठिनाई भी इस वायरस के लक्षण हो सकते हैं जो तीन सप्ताह तक बने रहते हैं.
कोविड-19 से कितना अलग है H3N2?
कोविड-19 जूनोटिक बीमारी है. यानी यह जानवरों से इंसान और इंसान से जानवरों में फैल सकता है. इस वायरस का नाम SARS-CoV-2 है और इसके कारण फैलने वाली बीमारी को WHO ने COVID-19 नाम रखा था. दिल्ली एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, ‘काफी साल पहले एक H1N1 के कारण एक महामारी आई थी. उस वायरस का सर्कुलेटिंग स्ट्रेन अब H3N2 है और यह एक सामान्य इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन है. इसके अधिक मामले देखे जा रहे हैं क्योंकि यह म्यूटेट हो रहा है. इस वायरस के खिलाफ लोगों में इम्यूनिटी कुछ कम देखी जा रही है इसलिए अतिसंवेदनशील लोगों को यह आसानी से संक्रमित कर रहा है.’
गुड़गांव के सीके बिड़ला हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के हेड डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर (Dr. Kuldeep Kumar) के मुताबिक, कोविड-19 और H3N2 वायरस दोनों एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हैं. कोविड-19 और H3N2 वायरस की प्रकृति और आवृत्ति अलग है.
H3N2 से बचे रहने के लिए सावधानी
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के इंटरनल मेडिसन डायरेक्टर, डॉ. रोमेल टिक्कू (Dr. Rommel Tickoo) ने कहा, ‘किसी भी अन्य वायरस की ही तरह H3N2 वायरस से बचने के लिए उचित सावधानी बनाए रखें, मास्क लगाएं, हाथ साफ रखें और संक्रमण से बचने के लिए चेहरे-आंखों को बार-बार छूने से बचें. लोगों ने मास्क लगाना और उसे गंभीरता से लेना बंद कर दिया है लेकिन फेस मास्क फ्लू के प्रसार को रोक सकता है और हानिकारक कणों को भी शरीर में जाने से रोकता है इसलिए मास्क लगाएं.’
डॉ. रोमेल आगे कहते हैं, “H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस एक संक्रमित व्यक्ति से से खांसी या छींक के माध्यम से किसी स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंच रहा है. संक्रमण से बचे रहने के लिए सुरक्षा बरतनी जरूरी है. इसके लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, सार्वजनिक रूप से बाहर हों तो मास्क लगाएं, हाथ को साबुन से बार-बार धोएं. उन लोगों के साथ संपर्क से बचें जिन्हें फ्लू है या जिनमें फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं.
कोविड-19 से कितना खतरा?
अपोलो हॉस्पिटल की एमडी डॉ. संगीता रेड्डी (Dr. Sangita Reddy) ने कुछ समय पहले कहा था, ‘भारत में कोविड वैक्सीनेशन अभियान और इफेक्टिव वैक्सीन को देखते हुए बढ़ते हुए मामलों से घबराने की जरूरत नहीं है.’
Add Comment