देश में आजादी के बाद से काफी कुछ बदल चुका है. शिक्षा का स्तर भी साल दर साल बढ़ता जा रहा है. शहरी और ग्रामीण इलाकों में जो बड़ा अंतर रहता था, वो भी समय के साथ पटा है. लेकिन अभी भी कुछ राज्यों में साक्षरता दर यानी कि लिटरेसी रेट संतोषजनक नहीं है. बिहार में सबसे कम लिटरेसी रेट पाया गया है. दूसरे पायदान पर अरुणाचल प्रदेश रहा है, वहीं तीसरे नंबर पर राजस्थान आया है. शिक्षा मंत्रालय द्वारा ही ये जानकारी दी गई है.
असल में सोमवार को लोकसभा में देश की लिटरेसी रेट को लेकर सवाल पूछा गया था. उसी लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि बिहार में सबसे कम लिटरेसी रेट है. उनकी तरफ से ये जानकारी भी दी गई कि ग्रामीण भारत में लिटरेसी रेट 67.77 है, वहीं शहरी भारत में ये आंकड़ा 84.11 रहा है. बताया गया है कि बिहार में शिक्षा का स्तर 61.8 रहा है, अरुणाचल में 65.3 फीसदी और राजस्थान में 66.1 फीसदी. अब ये तो तीन सबसे कम लिटरेसी रेट वाले राज्य रहे. सरकार ने सबसे ज्यादा लिटरेसी रेट वाले राज्यों की जानकारी भी दी है. केरल में 94 फीसदी लिटरेसी रही है, दूसरे नंबर पर लक्षद्वीप रहा है जहां पर शिक्षा स्तर 66.1 फीसदी दर्ज किया गया. तीसरे नंबर पर मिजोरम है जहां पर लिटरेसी 91.33 प्रतिशत है.
वैसे कम लिटरेसी दर वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक को भी शामिल किया जाता है. वहीं गोवा, हिमाचल, महाराष्ट्र जैसे राज्यों का प्रदर्शन भी इस मामले में बेहतर रहता है. केंद्र सरकार द्वारा लिटरेसी दर बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. उसका फायदा भी हुआ है, लेकिन कुछ राज्यों में सुधार धीमी गति से हो रहा है.
Add Comment