छत्तीसगढ़ की गांवों को जोड़ने के लिए पीएमजीएसवाय-तीन के तहत 85 पुलों को मंजूरी दी गई है। इसमें से 71 पुलों के निर्माण के लिए टेंडर फाइनल कर दिया गया है। इस पर लगभग तीन सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। दुर्ग, बस्तर औैर रायपुर जिले में मिले इन पुलों में से अधिकांश में काम शुरू कर दिया गया है। मार्च 2024 तक 30 से ज्यादा पुलों पर आवाजाही शुरू हो जाएगी। जबकि सात पुल इसी महीने पूर्ण हो जाएंगे।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़कों में बारहमासी पहुंच बनाए रखने के लिए पुलों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी। क्योंकि सड़कें बनने से आवागमन को सुलभ हो रहा था लेकिन पुल के अभाव में बारिश के दिनों के कई गांव शहरों या अन्य बड़े स्थानों से कट जाते थे। लोगों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए पीएमजीएसवाय के तहत सड़क के साथ पुल निर्माण को भी प्राथमिकता दी गई। बताया गया है कि साल 2013-14 में 458 पुलों की स्वीकृति दी गई थी जिसमें से फरवरी 2023 तक 356 पुल का काम पूरा किया जा चुका है। इसमें से 266 काम आदिवासी विकासखंड औैर अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं। इनमें से 17 में काम चल रहा है।
325 मीटर लंबा पुल भी जल्द तैयार होगा
इस योजना के अंतर्गत कांकेर जिले के दुर्गकोंदल में 225 मीटर लंबा पुल बनकर तैयार हो चुका है। जबकि प्रदेश का सबसे लंबा 325 मीटर का पुल गरियाबंद जिले के देवभोग में निर्माणाधीन है। यह दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। बताया गया है कि 2022-23 में 29 पुलों का बनाने का टारगेट दिया था इसमें से 22 पुलो का निर्माण पूरा हो गया है। मार्च अंत तक 7 औैर पुल तैयार हो जाएंगे। वहीं 2023-24 में 40 काम को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इसमें दिसंबर 2022 तक स्वीकृत 30 काम भी शामिल हैं।
नौ स्टील ब्रिज भी शामिल
बताया गया है अतिसंवेदनशील इलाकों में पक्के निर्माण को नक्सलियों द्वारा ध्वस्त किए जाने के आशंका को देखते हुए वहां पर 9 स्टील बेली ब्रिज बनाया गया है। इसमें राजनांदगांव जिले के कनेली से कंदाड़ी सड़क में बनाया गया सस्पेंशन ब्रिज भी शामिल है। सभी 9 बेली ब्रिज का काम पूरा हो चुका है।
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