हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की 9 दिसंबर में हुई पहले और तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में कई विद्यार्थियों ने 24 पेज की उत्तर पुस्तिका के सिर्फ 5 या 6 पेज का ही उपयोग किया था। निरीक्षण के दौरान देखने में आया था कि कई छात्र परीक्षा हाल में खाली बैठे रहते थे। कॉपियों के मूल्यांकन में भी यह बातें सामने आई थी।
कई प्राध्यापकों ने विवि में कोरी कॉपियां होने की जानकारी दी थी। इस पर उनसे कहा गया था कि उत्तर लिखने के प्रत्येक स्टेप में अंक दिए जाएं, ताकि परीक्षार्थियों का मनोबल बना रहे। वहीं परीक्षार्थियों की याद करने की और लिखने की क्षमता में आई कमी ने विश्वविद्यालय की परेशानी बढ़ा दी है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि 13 मार्च से विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। इसी वजह से विवि परीक्षार्थियों से आग्रह कर रहा है कि वह अपने लिखने की क्षमता को बढ़ाएं।
हर दिन कम से कम 5 पेज लिखने का अभ्यास करें
उन्होने कहा कि लेखन एवं स्मरण क्षमता बढ़ाने के लिए विद्यार्थी को स्वयं, उनके पालकों और शिक्षकों को मिलकर प्रयास करना होगा। अभी परीक्षा शुरू होने में 10 दिन बचे हैं। यदि आज से ही प्रतिदिन घर में कम से कम पांच पेज लिखने का अभ्यास करें तो वह वार्षिक परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। शिक्षकों को चाहिए वह कक्षाओं में विद्यार्थियों को कुछ न कुछ लिखने के लिए प्रेरित करें। विद्यार्थी अपने भविष्य को ध्यान में रखकर अपने लेखन एवं स्मरण क्षमता में अवश्य वृद्धि करें।
1.64 लाख परीक्षार्थी वार्षिक में शामिल होंगे
13 मार्च से शुरू रही विवि की वार्षिक परीक्षा में शामिल होने के लिए 1.64 लाख परीक्षार्थियों ने आवेदन किया है। परीक्षा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 70 केंद्र और 8 स्कूलों में उपकेंद्र बनाए गए हैं। परीक्षा तीन पालियों में सुबह 7 से 10, सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक और दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक होगी। पहली पाली में स्नातक स्तर पर बीएससी, दूसरी पाली में बीकॉम और तीसरी पाली में बीए की परीक्षाएं होंगी।
कुलपति ने कहा- विद्यार्थी अपनी लेखन क्षमता बढ़ाएं
सेमेस्टर परीक्षा में सामने आई बातों को ध्यान में रखते हुए कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा ने परीक्षार्थियों से कहा है कि वह अपनी लेखन क्षमता बढ़ाएं। दिसंबर में हुई सेमेस्टर परीक्षा में विद्यार्थियों की लेखन क्षमता काफी कम देखने को मिली है। यह चिंताजनक है और इसमें सुधार की नितांत आवश्यकता है। कोविड-19 में लगातार 2 वर्षों तक ऑनलाइन परीक्षा हुई। इससे विद्यार्थियों के पठन-पाठन तथा लिखने की क्षमता में काफी कमी आई है। परीक्षा के दौरान देखा गया कि कई विद्यार्थी परीक्षा कक्ष में खाली बैठे नजर आए।
8 फीसदी परीक्षार्थियों ने उत्तर पुस्तिका को कोरा ही छोड़ दिया, कुलपति को दी रिपोर्ट
प्रथम और तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा में सभी विषयों को मिलाकर कुल 23,790 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इनमें से 25 फीसदी छात्र-छात्राएं पूरे सवालों के जवाब नहीं लिख पाए थे। वहीं 15 फीसदी ने निबंधात्मक उत्तर लिखने के स्थान सोशल मीडिया में लिखने के तरीके से शार्टकट में उत्तर लिखा था। कुल परीक्षार्थियों में से 8 फीसदी परीक्षार्थियों ने उत्तर पुस्तिका कोरी छोड़ दी थी या फिर मुश्किल से 5 या 6 पेज का ही उपयोग किया था। मूल्यांकन के दौरान मूल्यांकनकर्ताओं ने इसकी जानकारी कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा को दी थी।
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