तीन दिन के रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने भावी रणनीति तय कर ली है। चुनौतियों और लगातार मिली हार से बने निराशा के माहौल से कार्यकर्ताओं को बाहर निकालने के लिए अधिवेशन ने लड़ने का मूलमंत्र पार्टी को दिया है। लड़ाई के लिए बाकायदा इसको नाम दिया गया है- “रायपुर से हुंकार”। इसके तहत कहा गया है- जो लड़ नहीं सकता, वह राहुल गांधी के साथ चल नहीं सकता। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने साफ कहा-रोने से कुछ हासिल नहीं होगा। हमें लड़ना होगा, लड़कर जीतना होगा। यह लड़ाई सीधे-सीधे मोदी सरकार और भाजपा से होगी।
इसी रणनीति के तहत अधिवेशन ने आने वाले तीन महीनों का देशव्यापी प्रोग्राम भी घोषित कर दिया है। मोदी सरकार पर हमले के लिए जो पहला सब्जेक्ट तय किया गया है वह है अडाणी मामला। अदाणी मामले में मोदी सरकार को एक्सपोज करने के लिए ब्लाॅक और जिलास्तर से लेकर प्रदेश की राजधानी में राजभवन घेराव जैसा कार्यक्रम करेगी।
भाजपा की मौजूदा राजनीति को देशहित के लिए खतरा बताते हुए कांग्रेस ने अपने अधिवेशन में भाजपा और कांग्रेस के बीच के अंतर को साफ तौर पर रेखांकित करने का प्रयास किया है। इसको राहुल गांधी ने अलग ही अंदाज में परिभाषित किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्ति आधारित बात करते हैं। वे श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने को अपनी उपलब्धि बताते हैं, लेकिन कांग्रेस की राजनीति इसके विपरीत है। राहुल के अनुसार भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हजारों-लाखों कश्मीरी युवाओं ने हाथ में तिरंगा लेकर देशप्रेम का जज्बा दिखाया। यानी कांग्रेस हर आदमी के दिल में देशप्रेम जगाना चाहती है और भाजपा व्यक्ति के आत्ममुग्ध होने को अपनी उपलब्धि बताती है।
कांग्रेस ने मोदी सरकार से लड़ाई लड़ते हुए अपने पुराने वैभव को वापस लाने के लिए रायपुर अधिवेशन में जो छह प्रस्ताव पास किए हैं, उनमें सबसे महत्वपूर्ण है-सामाजिक न्याय। भाजपा के कट्टर हिंदुत्व की राजनीति का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने दो मोर्चे खोले हैं।
पहला है-कांग्रेस संगठन में एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं और युवाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देना। दूसरा है- देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग। यह कांग्रेस की सामाजिक न्याय की राजनीति का बड़ा आधार होगा। इसके तहत कांग्रेस इस बात पर जोर देगी कि देश में सामाजिक संतुलन बनाकर राजनीति करने की जरूरत है। मतभेद की राजनीति से देश में वैमनस्यता फैलेगी।
वैसे यह भी स्पष्ट हो गया है कि भाजपा से लड़ने के लिए कांग्रेस को अब अन्य सहयोगियों की भी जरूरत है। अधिवेशन में महागठबंधन बनाने और उसका नेतृत्व करने की दिशा में कांग्रेस ने पहल कर दी है। अधिवेशन के तीसरे दिन समापन के दौरान खरगे ने विपक्षी एकजुटता की बात कही।
बाद में अधिवेशन का संकल्प पेश करते हुए मुकुल वासनिक ने साफ कहा कि रचनात्मक कार्यक्रम बनाकर समान विचारधारा वाले सहयोगी दलों को साथ लाएंगे।लिहाजा, रायपुर अधिवेशन को पार्टी की दिशा तय करने वाला बताया जा रहा है। खरगे ने इसको रेखांकित करते हुए कहा-रायपुर से नई कांग्रेस का आगाज होने जा रहा है।
इसके लिए उन्होंने युवा पीढ़ी को आगे आकर मोर्चा संभालने की बात कही है। इसी कड़ी में उन्होंने यह भी जोड़ दिया- हम सब राहुल गांधी के साथ खड़े हैं। गौर करने वाली बात है सोनिया गांधी ने कल ही रिटायरमेंट का संकेत दिया है और पीढ़ी परिवर्तन के तहत पूरी पार्टी ने राहुल को अपना नेता स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
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