रायपुर। तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए जारी निविदाओं में भारी गोलमाल का आरोप लगाते हुए आज पीसीसी चीफ ने एक बार फिर से राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। श्री बघेल ने कहा कि पिछले दो निविदाओं में न्यूनतम मूल्य का उल्लेख नहीं किया गया था, लेकिन तीसरी निविदा में बकायदा इसका उल्लेख है। इससे सिद्ध होता है कि राज्य सरकार ने जानबूझकर ऐसा किया। कांग्रेस की मांग है कि करोड़ों के इस गोलमाल की सीबीआई जांच हो तथा पूर्व में जारी टेंडर निरस्त हों।
कांग्रेस भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए जारी निविदाओं में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए फिर से राज्य सरकार पर हमला बोला। श्री बघेल ने कहा कि चुनावी वर्ष में तेंदूपत्ता का बोनस, अधिक मूल्य और संग्राहकों को लाभ तथा सामान्य वर्षों में संग्राहकों को कोई लाभ नहीं।
यह भाजपा सरकार की सोची-समझी रणनीति है। श्री बघेल ने दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए बताया कि वर्ष 2007 में जहां 325.59 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई तो वहीं 2008 में यह घटकर 197.62 करोड़ हो गई। इसके बाद फिर से वर्ष 2012 में यह राशि बढ़कर सीधे 646.91 करोड़ पहुंची तो वहीं वर्ष 2013 और 14 में घटकर क्रमश: 362.13 तथा 334.75 करोड़ रह गई। यही स्थिति वर्ष 2017 में बनी जहां 1358.65 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई तो वहीं 2018 में यह घटकर अभी तक केवल 730.34 करोड़ रह गई। श्री बघेल ने कहा कि चौंकाने वाली बात यह भी है कि सामान्य वर्षों में जब चुनाव नहीं होता तो टेंडर भरने वाले ठेकेदारों की संख्या बढ़ जाता है, लेकिन चुनावी वर्ष में यह संख्या सीमित हो जाती है। इसका सीधा मतलब है कि राज्य सरकार के इशारे पर रिंग बनाकर तेंदूपत्ता का टेंडर लिया जाता है। श्री बघेल ने कहा कि इस विषय पर कांग्रेस की ओर से उन्होंने 15 मार्च की प्रेसवार्ता में आरोप लगाया था कि पिछले दो टेंडरों में न्यूनतम मूल्य का उल्लेख नहीं किया गया और कांग्रेस के आरोप लगाने के बाद तीसरे टेंडर में इसका उल्लेख किया गया। इससे स्पष्ट है कि जानबूझकर न्यूनतम मूल्य का उल्लेख नहीं किया गया। इससे कांग्रेस द्वारा लगाया गया अनुमानित 300 करोड़ के गोलमाल का आरोप भी सिद्ध हो जाता है। लिहाजा इस पूरे मामले में कांग्रेस की मांग है कि सीबीआई जांच होनी चाहिए और पिछले दो टेंडर निरस्त होने चाहिए।
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