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छत्तीसगढ़ : 80-90 के दशक में एक परिसर में मनोरंजन का ‘डबल डोज’ देने वाले इस सिनेमाघर में लगा ताला…

किसी जमाने में सिनेमाघर यानी थियेटर लोगों के मनोरंजन का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था, लेकिन आधुनिक समय में मल्टीप्लेक्स और सिनेमा के दीगर विकल्प ने सिनेमाघरों पर संकट पैदा कर दिए थे। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके दर्शक कम होते जा रहे हैं, फिर भी भारी-भरकम टॉकीजों का खर्च निकालना आसान भी नहीं रहा।

इसलिए सिनेमाघरों पर लगातार संकट मंडरा रहा है और छत्तीसगढ़ में कई बड़े-बड़े सिनेमाघर बंद भी हो गए हैं। राजधानी रायपुर की बात करें तो यहां शारदा टॉकीज तो काफी पहले ही बंद हो चुका था, लेकिन बाबूलाल टॉकीज और आनंद टॉकीज पिछले कुछ सालो में ही बंद हुए हैं।



वहीं अब 90 के दशक में मनोरंजन का डबल डोज देने वाला भिलाई का चन्द्रा और मौर्या टॉकीज भी बंद हो गया है। प्रबंधन ने इस आशय की सूचना चस्पा कर दी है और कर्मचारियों को यथेष्ट लाभ दिलाने की बात कही है।

वैसे जानकारों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में चन्द्रा-मौर्या टॉकीज की शुरूआत 35-36 साल पहले हुई थे। पहले ग्राउंड फ्लोर पर चन्द्रा और फिर बाद में ऊपर की मंजिल पर मौर्या टॉकीज का संचालन शुरू हुआ। यानी दर्शक एक ही परिसर में दो फिल्मों का एक साथ लुत्फ उठा सकते थे। लेकिन अब इसके बंद होने के साथ ही जो दर्शक यहां फिल्म देखने आते थे, उनको निराशा तो जरूर हुई होगी।

वैसे इस टॉकीज की खासियत यह भी रही है कि लोगों के लिए यह कौतूहल का विषय था कि एक ही परिसर में दो टॉकीज कैसे चल रहा है? दूर-दूर से लोग बस यहीं देखने भी आया करते थे। वैसे आपको बता दें कि यहां की साउंड टेक्नोलॉजी से लेकर सिटिंग अरेजमेंट गजब था। 80 और 90 के दशक में शनिवार और रविवार को कैंपस के आसपास मेले जैसा माहौल होता था।

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