सूर्य का प्रभामंडल (Sun Halo) दिखाई देना एक बहुत सामान्य घटना नहीं है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के दृश्य केवल पृथ्वी (Earth) पर ही दिखाई दे सकते हैं. लेकिन कुछ समय पहले नासा के पर्सिवियरेंस रोवर की एक तस्वीर ने वैज्ञानिको को अपनी इस धारणा पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है. इसकी वजह यह है कि इस मंगल ग्रह (Mars) पर ली गई तस्वीर में भी सूर्य का प्रभामंडल साफ साफ दिखाई दे रहा है. इस तस्वीर ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. हैरानी की बात यह है कि वैज्ञानिक यह मान के बैठे थे कि मंगल ग्रह पर तो इस तरह का प्रभामंडल दिखाई देने की कतई उम्मीद नहीं है.
पृथ्वी के बाहर होने हैरानी की बात
दरअसल नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह से ही सूर्य का हालो या प्रभामंडल देख लिया है. इस घटना के बारे में कहा जाता है कि यह केवल पृथ्वी पर ही संभव है. लेकिन पर्सिवियरेंस की तस्वीर से अल लगता है कि यह दूसरे ग्रहों पर भी हो सकती है. इस तस्वीर को देख कर वैज्ञानिकों की एक पुरानी धारणा जरूर टूटी है, लेकिन फिर वे इस खोज से वे बहुत उत्साहित हैं.
कब ली गई थी यह तस्वीर
वे इस घटना को देखने के लिए लंबे समय से इंतजार भीकर रहे थे, लेकिन मंगल ग्रह के वायुमंडल की जटिलताओं को देखते हुए उन्होंने ने भी उम्मीद खो ही दी थी. इस रोवर का प्रबंधन करने वाले नासा के जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) के खगोलविदों का कहना है कि यह तस्वीर पिछले साल के अंत में 15 दिसंबर को ली गई थी.
कैसे बनता है कि यह प्रभामंडल
पृथ्वी पर सूर्य का प्रभामंडल तब बनता है जब वायुमंडल में बिखरे बादलों में छोटे क्रिस्टल मिल जाते है जिसे होते हुए गुजरने वाला सूर्य प्रकाश प्रिज्म की तरह अलग अलग रंगों में बिखर जाता है. ये हालो बनाने वाले क्रिस्टल ज्यादातर सिरस बादलों में ही पाए जाते हैं. जो वायुमंडल के ऊंचे हिस्से में मिलते हैं.
पृथ्वी पर कैसे बनते हैं ये हालो
इतना ही नहीं इस हालो काआकार बादलों में मौजूद इन बर्फ के क्रिस्टल की संरचनाओं पर निर्भर करता है. क्रिस्टल के आकार के अलावा बादलों की मोटाई की भी अपनी भूमिका होती है जो इस प्रभामंडल के आकार निर्धारण में भूमिका निभाती है. वहीं जहां भी प्रभामंडल में जो रंगीन छल्ला बनता है वह सूर्य से 22 डिग्री की दूरी पर दिखाई देता है.
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