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सरकार की तर्ज पर नक्सली लगाएंगे समाधान शिविर…25 से 31 जनवरी तक सुनेंगे समस्या और देंगे राहत…आदिवासियों के बीच करेंगे प्रचार-प्रसार…

जगदलपुर। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद सरकार के नक्सल नीति बदलने के संकेत से नक्सलियों के हौसले बुलंद हैं और वे समाधान शिविर लगाकर अपने संगठन के प्रचार-प्रसार भी करेंगे। नक्सलियों द्वारा समाधान शिविर लगाने की घोषणा के बाद यह माना जा सकता है कि वे अपनी समानंतर सरकार के वर्चस्व को बढ़ाने में लग गए है।

नक्सली सरकार की तर्ज पर स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए 25 जनवरी से 31 जनवरी के मध्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के गांव-गांव में समाधान शिविर लगायेंगे। नक्सली शिविरों में ग्रामीणों की समस्या कैसे हल करेगी और समस्याओं को कौन सुनेगा यह स्पष्ट नहीं है।

नक्सलियों के दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने जगरगुंडा, देवरपल्ली मार्ग में सड़क पर समाधान शिविर के बारे में लिखा है। सड़क पर लिखा गया है कि 25 जनवरी से 31 जनवरी तक समाधान शिविर लगाने के अलावा इस दौरान नक्सली संगठन का प्रचार-प्रसार भी किया जायेगा तथा नवजन कं्राति सप्ताह भी मनायेंगे।



उल्लेखनी है कि कांग्रेस की नई सरकार बनने से पहले चुनाव के दौरान नक्सलियों को क्रांतिकारी घोषित किया था। जिसके बाद बस्तर संभाग में नक्सलियों के द्वारा कांग्रेस को चुनाव में समर्थन दिये जाने की बात भी सामने आयी थी।

सरकार बनने के बाद नक्सलियों पर नीति बदलने के संकेत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में साफ कर दिया था कि गोली का जवाब गोली से देने की नीति बदली जायेगी। पीडि़त आदिवासियों से बातकर नक्सलवाद पर नीति बनाने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार की नई नक्सल नीति सामने नहीं आई है। सरकार बनने के एक महीने से अधिक का समय हो चुका है।

इस दौरान बस्तर संभाग में नक्सली मुठभेड़ में भारी कमी आई है, जिससे नक्सलियों के हौसले बुलंद हैं। नक्सली समाधान शिविर वाले नये पेतरे को नई रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। नक्सल मामलों के जानकारों के अनुसार पहले नक्सली बस्तर में अपने पैठ जमाने के लिए जनताना सरकार के दौर पर समानांतर सरकार का काम करते थे।



विगत कुछ वर्षों में नक्सलियों का यह पूरा सिस्टम समाप्त होकर रहा गया था। जिसे पुन: बुलंद हौसलों के साथ जनता में पैठ बनाने के लिए समाधान शिविर के माध्यम से कोशिश कर रही है। समाधान शिविर की घोषणा के बाद आसपास के गांव में रहने वाले लोगों में दहशत है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ी मुश्किल से इस सड़क पर लोगों का आना-जाना शुरू हुआ था। छत्तीसगढ़ शासन को चाहिए कि नक्सलियों के समानांतर सरकार चलाने के प्रयास से पहले अपनी नक्सल नीति को स्पष्ट करते हुए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

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