अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से जारी है, मगर संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी एनओएसी न मिलने की वजह से अभी अयोध्या में मस्जिद बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित ‘इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन’ व अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने शुक्रवार को बताया कि अयोध्या विकास प्राधिकरण ने 15 जुलाई को अग्निशमन सेवा, नागरिक उड्डयन, अयोध्या नगर निगम, सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन सहित संबंधित विभागों को पत्र जारी कर मस्जिद निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने को कहा था.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि अयोध्या में एक प्रमुख स्थान पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी जानी चाहिए और तत्कालीन अयोध्या प्रशासन द्वारा यहां से करीब 27 किलीमीटर दूर सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में इस उद्देश्य के लिए जमीन आवंटित की गई थी.
अतहर हुसैन ने कहा कि अब तक न किसी विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है और न ही विभागीय अधिकारियों द्वारा मौके पर निरीक्षण किया गया है. उन्होंने बताया कि सिर्फ अग्निशमन विभाग द्वारा निरीक्षण किया गया है. प्रस्तावित मस्जिद और वहां बनने वाले अस्पताल की ऊंचाई के दृष्टिगत यह आवश्यक है कि संपर्क मार्ग 12 मीटर चौड़ा हो, जबकि दोनों मौजूदा संपर्क सड़क की चौड़ाई छह मीटर से अधिक नहीं है. हुसैन ने बताया कि मुख्य पहुंच मार्ग की चौड़ाई केवल चार मीटर है और पहुंच मार्ग संकरा होने के कारण दमकल विभाग ने भी निर्माण पर अनापत्ति देने से इनकार कर दिया है.
मुख्य अग्निशमन अधिकारी आर के राय ने बताया, ‘संपर्क मार्ग की चौड़ाई कम होने के कारण अग्निशमन विभाग ने अयोध्या मस्जिद परियोजना के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र को रोक दिया है. हमने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन को एक पत्र जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि अनापत्ति प्रमाण पत्र केवल तभी जारी किया जा सकता है, जब सड़क की चौड़ाई 12 मीटर हो.’
हुसैन ने कहा, ‘हम उत्तर प्रदेश सरकार और अयोध्या प्रशासन से अपील करते हैं कि वहां पर 12 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण किया जाए ताकि जल्द से जल्द मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जा सके, जिसमें मस्जिद के अलावा अस्पताल, रसोई और अनुसंधान केंद्र शामिल हैं. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद यूपी सरकार के निर्देश पर अयोध्या प्रशासन द्वारा यह जमीन दी गई है.
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