छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास आईआईटी भिलाई कैंपस तैयार हो गया है। पूरा कैंपस सौर ऊर्जा से संचालित होगा। कैंपस को पर्यावरण हितैषी बनाने के लिए सिर्फ ई-व्हीकल और साइकिल को ही प्रवेश मिलेगा। इसके अलावा लोगों को ज्यादा से ज्यादा पैदल चलने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
भिलाई के पास कुटेलाभाटा में 2500 छात्रों की क्षमता का नया कैंपस थर्ड जनरेशन के सभी 6 आईआईटी में पहला है, जिसके मास्टर प्लान को ग्रिहा की 5-स्टार रैकिंग मिली है। कैंपस में बनी क्लब बिल्डिंग के कमरों का तापमान पानी के जरिए नियंत्रित किया जाएगा। यहां एसी का इस्तेमाल नहीं होगा। बिल्डिंग के दाेनों तरफ पानी है, जिससे वह तैरती हुई प्रतीत होती है।
सफल होने पर पूरे कैंपस से एसी हटाकर यही सिस्टम अपनाया जाएगा। संभवत: यह देश का पहला आईआईटी है जो कैंपस में ऐसा प्रयोग कर रहा है। छत्तीसगढ़ में मौजूद नेशनल इंस्टीट्यूट में सबसे यह सबसे बड़ा कैंपस है।
बनने से पहले ही इसे 6 अवॉर्ड मिल चुके हैं। ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल के हेल्थ एंड सेफ्टी ऑडिट में 5-स्टार रेटिंग दी गई है। आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर डॉ. रजत मूना बताते हैं, ‘नए कैंपस में जनवरी में नए सेमेस्टर से हम शिफ्ट हो जाएंगे।
स्ट्रक्चर का काम पूरा हो गया। पर अभी इंटीरियर और रोड जैसे काम बाकी हैं। आईआईटी कानपुर, गांधीनगर, भुवनेश्वर के साथ ही कई नेशनल और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट डिजाइन कर चुकी फर्म कानविंदे राय एंड चौधरी फर्म के आर्किटेक्ट संजय कानविंदे बताते हैं, कैंपस के पास मौजूद तालाब व पेड़ों को ध्यान में रखकर डिजाइन तैयार की गई है। सभी बिल्डिंग काे लिंक करने वाला कॉन्सेप्ट एक्सेस कॉरिडोर बनाया गया है।
वहीं लाइब्रेरी डेटा सेंटर के साथ एक टॉवर ब्लॉक भी बनाया गया है। इसे बाहर के माहौल को देखने के लिए व्यू प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। एम. श्रीनिवास ने बताया कि बिल्डिंग को कुछ साल बाद दोबारा पेंट कराना पड़ता है। यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल नहीं होता। इसलिए दीवाराें पर पेंट के बजाय 50 एमएम के पत्थर लगाए जा रहे हैं, इसे स्टोन क्लैडिंग कहते हैं। यह 30 साल तक रहेगा। वहीं ग्रीट प्लास्टर यानी कांक्रीट व पत्थर को मिक्स करके कोट लगा रहे हैं।
ई-व्हीकल के लिए 20 स्टेशन, चार्जिंग भी वहीं पर
कैंपस में साइकल और ई-व्हीकल के लिए 20 स्टेशन बनाए जाएंगे। यहां चार्जिंग सुविधा भी होगी। इसके अलावा 15 हजार पौधे लगाए जाएंगे। ये गर्मी के प्रभाव और साइट के प्राकृतिक अस्तित्व को संतुलित रखने में मदद करेंगे। पानी का पूरा तंत्र इस तरह तैयार किया गया है ताकि बाहरी स्रोतों से मदद न के बराबर लेनी पड़े। रेडिएंट कूलिंग का प्रयोग करने वाला भी यह पहला आईआईटी होगा। सभी बिल्डिंग को जोड़ने वाले वॉकिंग और साइकिलिंग ट्रैक भी बनाए जा रहे हैं।
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