छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत चल रहे किसी भी विश्वविद्यालय और कॉलेज को नेक से ‘ए प्लस’ ग्रेड नहीं मिल पाया है। केंद्र की एनआईआरएफ रैंकिंग में भी यहां के संस्थान टॉप-100 में जगह नहीं बना सके। भास्कर ने रैंकिंग में पिछड़ने के कारणों की पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि ग्रेड में सबसे ज्यादा नंबर फैकल्टी की कमी से कट रहे हैं।
फैकल्टी की कमी इसलिए है क्योंकि 22 साल में केवल दो बार डीपीसी करके 2006 में 333 तथा 2016 में 26 असिस्टेंट प्रोफेसरों को प्रमोट किया गया, जबकि 711 प्रमोशन के इंतजार में ही हैं। इसीलिए शासन ने 711 असिस्टेंट प्रोफेसर को ‘वन टाइम प्रमोशन’ देने की तैयारी कर ली है। इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जाएगा। इन्हीं से प्रोफेसर और प्रिंसिपल के खाली पद भरे जाएंगे, ताकि ग्रेडिंग सुधर सके। दरअसल, 1991 में ज्वॉइनिंग के बाद पहली बार प्रमोशन मिलेगा।
प्रदेश के 279 कॉलेजों में से 207 में नियमित प्रिंसिपल नहीं है। प्रोफेसरों के पद भी बड़ी संख्या में खाली हैं। इससे छात्रों ही नहीं, कॉलेजों का भी नुकसान हो रहा है। एक प्रोफेसर 8 छात्रों के पीएचडी गाइड बन सकते हैं, असिस्टेंट प्रोफेसर सिर्फ 4 के ही। अर्थात शोधार्थियों की संख्या सीधे-सीधे आधी ही है। यही नहीं, असिस्टेंट प्रोफेसर को दूसरे राज्यों में वायवा और बोर्ड ऑफ स्टडीज में भी शामिल नहीं किया जा रहा है। क्योंकि इन्हें शासन ने प्रोफेसर का वेतनमान तो दिया है, लेकिन ‘पदनाम’ नहीं। 50 से अधिक तो असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती हुए और इसी से रिटायर हो चुके हैं।
विषय और असिस्टेंट प्रोफेसर
राजनीति शास्त्र 39, समाज शास्त्र 30, हिंदी 24, वाणिज्य 24, अंग्रेजी 22, अर्थशास्त्र 22, भूगोल 19, इतिहास 14, रसायनशास्त्र 20, गणित 13, वनस्पति शास्त्र 13, प्राणी शास्त्र 11, भौतिकशास्त्र 10, दर्शन शास्त्र 3, भू-गर्भ 3, गृह विज्ञान 3, रक्षा अध्ययन 2, विधि 2, मनोविज्ञान 1, मानव शास्त्र 1, प्राचीन भारतीय इतिहास 1, संस्कृत 1 और नृत्य में 1 असिस्टेंट प्रोफेसर।
प्रमोशन नहीं और पद खाली रहने से संस्थानों को नुकसान
पद खाली होने से विवि-कालेजों की ग्रेडिंग कमजोर
दुर्ग का साइंस कालेज ही ए प्लस, बाकी उससे पीछे
इस वजह से यूजीसी से ग्रांट भी बुरी तरह प्रभावित
प्रोफेसर के खाली पदों से रिसर्च में पिछड़ गए छात्र
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