छत्तीसगढ़ में पांच दिन से हड़ताल पर बैठे सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों का वेतन कटेगा। राज्य सरकार ने हड़तालियों पर कार्रवाई करने को लेकर निर्देश जारी कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी निर्देश में सभी कलेक्टरों व विभागाध्यक्षों को हड़ताल, धरना और सामूहिक अवकाश पर चल रहे कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश जारी किया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश के करीब पांच लाख कर्मचारी पिछले पांच दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। कर्मियों की मांग है कि उन्हें केंद्र सरकार के समान 34 फीसद महंगाई भत्ता, गृहभाड़ा भत्ता व सातवां वेतनमान दिया जाए।
सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी कलेक्टरों व विभागाध्यक्षों जारी किया निर्देश
इधर, छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा और प्रमुख प्रवक्ता विजय कुमार झा ने राज्य सरकार के हड़ताल की अवधि का वेतन काटने के आदेश को अनुचित बताया है। नेताओं ने कहा है कि आंदोलन के दौरान कर्मचारियों से संवाद करने की बजाय सरकार वेतन काटने का आदेश जारी कर रही है। यह एक तरह से कर्मचारियों-अधिकारियों से वार्ता के मार्ग को बाधित करने जैसा है। इससे कर्मचारियों में और आक्रोश बढ़ेगा।
कर्मियों की हड़ताल से 12 सौ करोड़ का राजस्व प्रभावित
महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के करीब पांच लाख सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर हैं। हड़ताल पांच दिन की थी, लेकिन शनिवार और रविवार के कारण नौ दिन की हो गई है। इससे सरकार के खजाने और कामकाम पर विपरीत असर पड़ा है। कर्मचारी नेताओं के अनुसार हड़ताल के कारण करीब 12 सौ करोड़ से अधिक का राजस्व प्रभावित हुआ है। वहीं, जिलों से लेकर मंत्रालय तक करीब 25 हजार से ज्यादा फाइलें जाम हो गई हैं।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि हड़ताल के कारण प्रदेश के सभी सरकारी कार्याल्य बंद हैं। आबकारी, कलेक्टेरेट, तहसील कार्यालयों, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, नगर निगम जैसे कई महत्वपूर्ण विभाग में तालीबंदी रही। इसका सीधा असर सरकार के राजस्व आदम पर पड़ा है। हड़ताल के दौरान राज्य शासन को लाखों रुपये के राजस्व की हानि हुई है।
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