राजधानी समेत प्रदेश में काेरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं। दूसरी ओर काेरोना की जांच करने वाले पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के 15 लैब टेक्नीशियनों की नौकरी पर खतरा उत्पन्न हो गया है। काॅलेज प्रबंधन ने लैब टेक्नीशियनों को वेतन देने के लिए फंड नहीं होने का हवाला दिया है।
डीन व वित्त अधिकारी इस मामले में कलेक्टर से मिलकर महामारी से मिलने वाले फंड के लिए गुहार भी लगा चुके हैं। कलेक्टर ने फंड देने का आश्वासन भी दिया है।
इसके बाद भी वेतन देने के लिए कलेक्टर से फंड की मांग की जा रही है। प्रदेश में कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं तो टेस्ट बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन फंड का बहाना कर दैनिक वेतन भोगी के बतौर काम करने वाले टेक्नीशियनों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर रहा है। हाल ही में कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भूरे से डीन व वित्त अधिकारी ने मुलाकात कर टेक्नीशियनों के वेतन के लिए फंड मांगा।
जांच पर पड़ेगा असर
अब कॉलेज प्रबंधन ने कलेक्टर को बताया है कि वे केवल 5 टेक्नीशियन को ऑटोनामस फंड से वेतन दे पाएंगे। बाकी 10 टेक्नीशियन के वेतन के लिए फंड ही नहीं है। ऐसे में नौकरी पर खतरा आने से कोरोनाकाल के समय से काम रहे टेक्नीशियनों की चिंता बढ़ गई है। अगर टेक्नीशियनों को निकाला गया तो कोरोना जांच भी प्रभावित हो सकती है। दरअसल आरटीपीसीआर जांच में टेक्नीशियन की महत्वपूर्ण भूमिका है।
समय पर नहीं मिल रहा केमिकल
इस मामले में माइक्रो बायोलॉजी विभाग व कॉलेज प्रबंधन के बीच कहासुनी की बातें भी सामने आ रही हैं। दरअसल माइक्रो बायोलॉजी विभाग को विभिन्न खून, यूरिन, स्टूल व दूसरी जांच के लिए मीडिया समेत दूसरे केमिकल की जरूरत पड़ती है। ये केमिकल समय पर सप्लाई नहीं होने से जांच प्रभावित हो रही है। टेक्नीशियनों के नौकरी के खतरे से भी एचओडी खुश नहीं है, क्योंकि जांच प्रभावित होने की आशंका है।
प्रदेश का दूसरा वायरोलॉजी लैब
मेडिकल कॉलेज स्थित वायरोलॉजी लैब प्रदेश का दूसरा है। सबसे पहले जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लैब शुरू हुई। इस लैब में कोरोना ही नहीं स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की जांच की जा सकती है। पूरे कोरोनाकाल में सबसे ज्यादा जांच में इस लैब का दूसरा स्थान है। सबसे ज्यादा सैंपलों की जांच एम्स में हुई है। जानकारों का कहना है कि लैब एडवांस है और इसमें अच्छी जांच हो रही है।
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