जेनेवा. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा कि पश्चिमी यूरोप में भीषण गर्मी की हीटवेव लगातार बढ़ती जा रही हैं और यह प्रवृत्ति कम से कम 2060 के दशक तक जारी रहने की संभावना है. संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि मौजूदा हीटवेव को वातावरण में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने वाले देशों को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए.
एनडीटीवी कॉम की एक खबर के मुताबिक डब्ल्यूएमओ के प्रमुख पेटेरी तालस (Petteri Taalas) ने जेनेवा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हीटवेव अधिक बार आ रही है और कम से कम 2060 तक ये प्रवृत्ति जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की बदौलत गर्मी का रिकॉर्ड टूटना शुरू हो गया है. भविष्य में इस तरह की हीटवेव की घटना सामान्य रहने वाली है. हम गर्मी को और भी ज्यादा बढ़ते देख सकते हैं.
पेटेरी तालस ने कहा कि हानिकारक गैसों का उत्सर्जन अभी भी बढ़ रहा है. अगर हम इस उत्सर्जन वृद्धि को रोकने में सक्षम नहीं हुए, खासकर बड़े एशियाई देशों में जो सबसे बड़े उत्सर्जक हैं, तो हम शायद 2060 के दशक में गर्मी को चरम पर पहुंचते देख सकते हैं. गौरतलब है कि WMO ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पश्चिमी यूरोप में भीषण लू के प्रकोप के बारे में जानकारी दी.
यूरोप की हीटवेव ने उत्तर की ओर बढ़ने से पहले जंगलों में भयंकर आग को हवा दी और पहली बार ब्रिटेन में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक हो गया. डब्ल्यूएमओ के एप्लाइड क्लाइमेट सर्विसेज के प्रमुख रॉबर्ट स्टेफांस्की ने कहा कि ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि आज पूरे फ्रांस, ब्रिटेन, संभवत: स्विट्जरलैंड में भी हीटवेव का चरम होगा. एक सवाल हर कोई पूछ रहा है कि ये हीटवेव कब खत्म होगी? दुर्भाग्य से शायद ये अगले सप्ताह के मध्य तक खत्म नहीं होगी.’
यूरोप का गर्मी रिकॉर्ड पिछले साल तब टूटा था, जब दक्षिणी इटली के सिसिली में पारा 48.8C तक पहुंच गया था. जबकि डब्ल्यूएचओ की पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य निदेशक मारिया नीरा ने कहा कि 2003 में इसी तरह की यूरोपीय हीटवेव के कारण 70,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. गर्मी के करण ऐंठन, थकावट, हीटस्ट्रोक, हाइपरथर्मिया जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
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