सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर के नोटिस का जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक का समय दिया है. सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को जल्द ही सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित करना होगा. उनके अनुसार, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्य में जारी राजनीतिक अस्थिरता का स्वत: संज्ञान लेकर फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी सोमवार के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्साहित है और उसे शिवसेना के एकनाथ शिंदे धड़े के साथ मिलकर सरकार बनाने का भरोसा है.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि उद्धव ठाकरे सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग 11 जुलाई से पहले भी की जा सकती है, जो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख है. उन्होंने बताया कि शिंदे समूह कुछ तकनीकी मुद्दों पर वरिष्ठ वकीलों से परामर्श कर रहा है और उन्हें जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. अन्य विकल्पों में या तो एकनाथ शिंदे समूह या भाजपा द्वारा शक्ति परीक्षण की मांग करना शामिल है. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट के लिए विधानसभा सत्र बुलाए जाने की संभावना अधिक है.
क्या शिंदे गुट के लिए किसी अन्य दल में विलय एक विकल्प है?
क्या शिंदे गुट के लिए किसी अन्य दल में विलय एक विकल्प है? भाजपा में उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि विलय आवश्यक नहीं है क्योंकि शिंदे गुट ‘मूल शिवसेना’ है. उन्होंने कहा, ‘शिवसेना विभाजित हो गई है और शिंदे के पास बहुमत है. इसलिए, वे मूल शिवसेना हैं.’ शिंदे के राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ जाने की अफवाहों के बारे में क्या? सूत्रों ने कहा, ‘वे (बागी विधायक) कभी नहीं जाएंगे.’
क्या फ्लोर टेस्ट के दौरान डिप्टी स्पीकर विपक्ष की रणनीति खराब कर सकते हैं? बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि डिप्टी स्पीकर ऐसा कुछ भी करने की हिम्मत नहीं करेंगे जो कानून के खिलाफ हो. यदि वह ऐसा कुछ करते हैं, तो राज्यपाल एक प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर सकते हैं. तो क्या उद्धव सरकार कानूनी रूप से मामले पर कार्रवाई कर सकती है? एक सूत्र ने कहा, ‘अगर ऐसा होता है तो वे ऐसा करेंगे लेकिन हम इसके लिए तैयार रहेंगे.’
बागी विधायकों की सुरक्षा चिंता का विषय?
सूत्रों ने बताया कि 39 बागी विधायकों के जान-माल की रक्षा की जिम्मेदारी अब महाराष्ट्र सरकार की है. सूत्रों ने यह भी कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे 21 जून को इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन राकांपा प्रमुख शरद पवार ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने 22 तारीख को फिर से पद छोड़ने का फैसला किया, लेकिन शरद पवार ने एक बार फिर उन्हें ऐसा करने से रोक दिया.
Add Comment