रेत घाटों पर सिंडिकेट की मनमर्जी चल रही है। 15 जून से घाट बंद हो चुके हैं, फिर भी दिन-रात मशीने चल रही हैं, लोडिंग हो रही हैं। यहां सरकारी रेट से तीन गुना ज्यादा वसूली की जा रही है। छह से आठ लोग इन रेत घाटों का संचालन कर रहे हैं। सभी मनमाने तरीके से पिट पास और लोडिंग चार्ज वसूल रहे हैं।
रेत घाटों पर सिंडिकेट की मनमर्जी चल रही है। 15 जून से घाट बंद हो चुके हैं, फिर भी दिन-रात मशीने चल रही हैं, लोडिंग हो रही हैं। यहां सरकारी रेट से तीन गुना ज्यादा वसूली की जा रही है। छह से आठ लोग इन रेत घाटों का संचालन कर रहे हैं। सभी मनमाने तरीके से पिट पास और लोडिंग चार्ज वसूल रहे हैं।
ठेकेदार सीना ठोककर कह रहे हैं कि जब तक घाटों में पानी नहीं भरेगा, मशीन नहीं हटाएंगे। प्रशासन को जो आदेश करना है, करने दो। यही कारण है कि 6 हजार की रेत 12 हजार तक मिल रही है। पांच रेत घाटों समोदा, कागडीह, करमंदी, कुरुद कुटेला और चिखली के रेत घाटों का जायजा लिया।
प्रशासन ने सभी रेत घाटों को 15 जून से बंद कर दिया है,
लेकिन घाटों में दिन-रात रेत की खुदाई धड़ल्ले से चल रही
इतना ही नही, सरकारी रेट से तकरीबन 3 गुना ज्यादा वसूली की जा रही, इसी कारण 6 हजार की रेत 12 हजार में
बारिश में सभी रेत घाट बंद कर दिए फिर भी धड़ल्ले से चल रही मशीनें
मानसून की दस्तक के साथ ही जिले की सभी रेत घाट 15 जून से बंद कर दिए गए हैं, लेकिन सबकुछ कागजों पर। आरंग के हरदीडीह, कागदेही, चपरीद, चिखली, पारागांव समेत आसपास के सभी रेत घाटों में खुले आम मशीनों से गाड़ियों की लोडिंग की जा रही है।
रेत घाटों से मनमाने तरीके से रेत बाहर निकाला जा रहा है। अभी भी सीधे रेत घाटों से रेत की लोडिंग की जा रही है। बड़ी गाड़ियां रेत घाट पर बने रैंप तक जा रही है।
नियम ये है: सुबह से सूर्यास्त तक लोडिंग होगी, लेकिन हर जगह 24 घंटे लोडिंग
आरंग से लगभग 14 किमी का सफर तय करने के साथ ही रेत घाटों से आती गाड़ियां दिखाई दे जाती है। एनजीटी के नियमों के अनुसार सुुबह सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही खनन की अनुमति है।
लेकिन रेत घाटों पर मौजूद कर्मचारियों का कहना है कि हर घाट में कभी भी गाड़ी चाहिए मिल जाएगी। नियमों को ताक पर रखकर गाड़ियों की कभी लोडिंग की जा रही है। वो भी बिना पिट पास के। सबकुछ यहां अवैध तरीके से चल रहा है।
रेत घाट जिन्हें अलॉट, उनमें से ज्यादातर को लोग नहीं जानते
रायपुर जिले में 2020 में 9 रेत घाट नीलाम हुए हैं। जितने भी घाट पर गई, लोगों ने बताया कि उन्होंने नए मालिक को नहीं देखा है। केवल एक रेत घाट पर एक नाम का बोर्ड लगा है।
बाकी रेत घाटों में घाट संचालकों के नाम तक नहीं हैं। सभी रेत घाटों पर सिंडिकेट पुराने और बड़े ठेकेदार ही बैठे हैं। हाल ही में रेत घाट चला रहे सभी सिंडिकेट सदस्यों ने तय किया था कि रेत घाटों में एक जैसा शुल्क लेंगे, जिससे किसी भी घाट में रेट में फर्क न आए।
जिला खनिज अधिकारी रिटायर इसलिए ठेकेदारों की मनमानी
जिला खनिज अधिकारी और उप संचालक हरकेश मारवाह 30 मई को रिटायर हो गए हैं। उनकी जगह अभी किसी को भी यह जिम्मेदारी नहीं दी गई है। इसलिए रेत घाटों में मनमानी और बढ़ गई है।
जिला खनिज विभाग के पास इन रेत घाटों पर कार्रवाई के लिए केवल दो खनिज निरीक्षक हैं। रेत सप्लायरों का कहना है कि खनिज निरीक्षकों, खनिज अधिकारी और सभी की मिलीभगत से रेत घाट में खुले आम अवैध लोडिंग बिना पिट पास का खेल हो रहा है।
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