केंद्र सरकार की संस्था पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के पेंशन अंशदान के रूप में जमा 17 हजार 240 करोड़ रुपए की राशि वापस करने से इंकार कर दिया है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राशि वापस देने की मांग की है।
मुख्यमंत्री बघेल ने लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा एनपीएस ट्रस्ट और एनएसडीएल के साथ किए गए अनुबंधों में ऐसा कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है, जो राज्य सरकार को नवीन अंशदायी पेंशन योजना के लिए हुए अनुबंध से बाहर जाने और पुरानी पेंशन योजना लागू करने से रोकता हो। इससे पहले पिछले महीने ही वित्त विभाग पीएफआरडीए को पत्र भेजकर राशि वापस देने की मांग की थी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ की तरह ही राजस्थान में भी पुरानी पेंशन योजना लागू है। राजस्थान सरकार ने भी 39 हजार करोड़ रुपए वापस मांगे थे, लेकिन केंद्र की संस्था पीएफआडीए राशि वापस करने से इंकार कर चुकी है। मुख्यमंत्री की ओर से भेजे पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से वित्त सचिव ने 20 मई को पीएफआरडीए को पत्र भेजा था। उसमें राज्य सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की जानकारी दी गई थी।साथ ही नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी और राज्य सरकार के अंशदान के तौर पर जमा राशि को वापस मांगा था।
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार के योगदान की कुल राशि और कर्मचारी के अंशदान की संयुक्त हिस्सेदारी का वर्तमान बाजार मूल्य 17 हजार 240 करोड़ रुपए है। इसे राज्य सरकार के लोक लेखा के तहत अलग पेंशन फंड में रखा जाना है। पिछले वित्तीय वर्ष की पेंशन देनदारियों के 4% के बराबर राशि राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में इस पेंशन फंड में निवेश करने की योजना की भी जानकारी दी गई थी।
पीएफआरडीए ने कहा- ऐसी व्यवस्था नहीं
सीएम ने बताया कि 26 मई को पीएफआरडीए ने पत्र भेजकर कहा कि उनके नियमों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे राज्य सरकार को नियोक्ता एवं कर्मचारी अंशदान की राशि लौटाई जा सके। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की योजना का हवाला देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वे पीएफआरडीए को एनएसडीएल के पास जमा राज्य और कर्मचारी अंशदान की राशि वापस करने के लिए निर्देशित करें।
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