नई दिल्ली : कमतोड़ मंहगाई, इंधन की कीमतों को लेकर मारामारी, बिखरा हुआ राजनीतिक माहौल और भारी आर्थिक संकट से गुजरता पाकिस्तान क्या श्रीलंका की तर्ज पर ही दिवालिया होने की कगार पर है?
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखें तो दुनिया की सबसे सघन आबादी वाले देशों में से एक पाकिस्तान में वे सारे लक्षण दिखाई देते हैं, जो हाल ही में श्रीलंका में देखा गया है.
यानी भारत का दो पड़ोसी भारी आर्थिक और कर्ज संकट में फंस गया है. पाकिस्तान के पास सिर्फ 10 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है और इस साल उसे 45 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है. यानी अगर उसके पास पैसे नहीं हुए तो उसे जरूरी सामान खरीदने तक के पैसे नहीं होंगे.
पाकिस्तान आईएमएफ से 3 अरब डॉलर की अबिलंब मांग कर रहा है लेकिन आईएमएफ तेल और गैस की कीमतों को बढ़ाने की शर्त रख रहा है. दूसरी और पूर्व पीएम इमरान खान ने राजनीतिक माहौल को भी खराब कर दिया है.
इसलिए आईएमएफ भी कर्ज देने से हिचकिचा रहा है. इस परिस्थिति में अगर आईएमएफ पाकिस्तान को जल्दी बेल आउट पैकेज नहीं देता है तो वह जल्द ही इतिहास में दूसरी बार दिवालिया हो जाएगा.
तेल की कीमतों में इजाफा के बाद मिलेगा आईएमएफ से लोन
बुधवार को आईएएफ के साथ हुई बैठक में इस बात को रेखांकित किया गया है कि बहुपक्षीय कर्जदाता से अगर आकर्षक कर्ज मिलता है तो इसे चुकाने के लिए सरकार को तेल की कीमतों में इजाफा करने का कठिन फैसला करने पड़ेगा.
यही कारण है कि पाकिस्तान स्टेट बैंक कार्यवाहक गवर्नर ने कहा है कि पाकिस्तान एकदम फिनिश लाइन पर पहुंच गया है. आईएमएफ के साथ पाकिस्तान सरकार ऐसे समय में बात कर रही है जब देश में मंहगाई की दर एशिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है. दूसरी ओर इमरान खान ने जल्दी चुनाव कराने के लिए इस्लामबाद को चारों तरफ से घेर लिया है जिससे राजनीतिक माहौल पर बुरा असर पड़ा है.
सिर्फ 10 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार
पाकिस्तान में इस तरह के सबसे बुरे आर्थिक संकट के कई कारण हैं. महामारी के कारण व्यापार ढप है, निवेश आ नहीं रहा है, रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव पड़ा है और ब्याज दरों में भारी इजाफा हुआ है. कर्ज और देनदारियां दोनों आसमान छूती जा रही है. पाकिस्तान ने आईएमएफ से 3 अरब डॉलर का अबिलंब कर्ज मांगा है ताकि सूखते हुए फॉरेन रिजर्व को बढ़ाया जा सके.
पाकिस्तान का विदेशी मुद्र भंडार 10.2 अरब डॉलर तक आ गया है. इस साल सरकार को 45 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है. पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड एकदम निचले स्तर पर आ गया है. दूसरी ओर जिस तरह के पाकिस्तान में इमरान खान ने राजनीतिक हालात बना दिए हैं, उससे आईएमएफ से कर्ज हासिल करने में शहबाज सरकार की मुश्किलों को भी बढ़ा दिया है.
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