अब स्मार्ट सिटी रायपुर की ट्रैफिक सिस्टम को ज्यादा हाईटेक और व्यवस्थित बनाया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों की दो टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें दिल्ली, हैदराबाद, मुम्बई और बेंगलुरू की ट्रैफिक व्यवस्था का अध्ययन करेंगी और जल्द ही पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट सौंपेंगी। फिर इसे राजधानी में लागू किया जाएगा। माना जाता है कि इन शहरों की ट्रैफिक सिस्टम उच्च स्तरीय है। अभी ट्रैफिक की अव्यवस्था से शहर की कुछ सड़कों से गुजरना मुश्किल होता जा रहा है। लोगों की छोटी-छोटी लापरवाही के कारण मुख्य बाजारों में जाम लगना आम बात है।
इससे सड़कें संकरी होती जा रही हैं। पैदल चलना भी मुश्किल होता जा रहा है जयस्तंभ चौक से फूलचौक जाने वाला लेफ्ट टर्न हमेशा बंद रहता है। इससे मालवीय रोड पर लंबी लाइन लग जा रही है। कोतवाली के चारों ओर की सड़क पर पार्किंग का कहीं नियम दिखाई नहीं देता। लोग जहां चाह रहे हैं, वहीं गाड़ी पार्क कर रहे हैं।
प्रेशर हार्न और हाई स्पीड बाइकर्स से भी लोगों को परेशानी हो रही है। शारदा चौक का भी यही हाल है। चौक-चौराहों पर लेफ्ट टर्न हमेशा जाम रहता है। लेफ्ट जाने वालों के लिए जगह नहीं रहती। प्रमुख सड़कों और बाजारों में पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। सड़क पर ही गाड़ियां पार्क की जा रही हैं।
दुकानें भी सड़क पर बढ़ाकर लगाई जा रही हैं। इइन्हीं वजहों से अधिकांश सड़कों पर जाम लग रहा है। पुलिस इसे सुधारने की कोशिश कर रही है, लेकिन कोई खास कामयाबी मिलती नहीं दिखाई दे रही है। अब पुलिस देश के बड़े शहरों की ट्रैफिक व्यवस्था का अध्ययन करने जा रही है, जो आबादी और क्षेत्रफल में रायपुर से चार-पांच गुना ज्यादा बड़े हैं।
इसके बाद भी वहां की ट्रैफिक व्यवस्थित है। बड़े आंदोलन, प्रदर्शन में भी वहीं की व्यवस्था नहीं बिगड़ती। छत्तीसगढ़ पुलिस के 4 अधिकारी इस सप्ताह हैदराबाद, बेंगलुरु, दिल्ली और मुंबई जा रहे हैं। वहां की ट्रैफिक व्यवस्था का अध्ययन करेंगे। वहीं की मशीनरी और अन्य सिस्टम को देखेंगे। साथ ही जाम जैसी चुनौतियों से निपटने का तरीका भी जानेंगे।
लेफ्ट टर्न जाम
रायपुर में 70 से ज्यादा चौक-चौराहे हैं, जहां पर सिग्नल लगे हुए हैं। अधिकांश चौक पर लेफ्ट टर्न फ्री नहीं रहता। ट्रैफिक नियम की पूरी जानकारी नहीं होने के कारण लोग यहां भी गाड़ी खड़ी कर देते हैं।
मुंबई में लेफ्ट टर्न को फ्री रखने के लिए स्टील के छोटे पोल लगाए जाते हैं।
सड़क बनी पार्किंग
शहर के प्रमुख सड़क, बाजार और वीआईपी इलाके में पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इसलिए लोग सड़कों पर गाड़ियां पार्क कर रहे हैं। मुख्य बाजार में दुकान के सामने गाड़ियां खड़ी कर दी जाती हैं।
बेंगलुरू में मार्केट के पास ही पार्किंग बनाई गई है, जहां से लोग पैदल जाते है।
सड़क पर दुकान
अधिकांश सड़कों पर कारोबार चल रहा है। कारोबारियों ने 15-20 फीट सड़कों पर सामान सजाकर रखा है। गुमटियां बना ली गई हैं और ठेले लगाए जा रहे हैं। इससे सड़कें संकरी हो गई हैं।
दिल्ली में ठेले वालों के लिए जगह तय है। सड़क पर लगाने पर बड़ा जुर्माना।
स्टाप लाइन क्रास
सभी चौक-चौराहों पर स्टाप लाइन और जेब्रा क्रॉसिंग खींची गई है। इससे गाड़ियां लाइन के पहले खड़ी हों। लेकिन आमतौर पर लगभग सभी सड़कों पर स्टाप लाइन पार करके ही गाड़ियां खड़ी करते हैं।
हैदराबाद में पैदल चलने वालों के लिए जेब्रा क्रािसंग पर सिग्नल लगा हुआ है।
इस तरह करेंगे अध्ययन
एडीजी ट्रैफिक एंड योजना प्रबंध प्रदीप गुप्ता ने बताया कि देश के महानगरों की ट्रैफिक व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए ट्रैफिक अधिकारियों की दो टीम भेजी गई है।
आंदोलन, प्रदर्शन और रैली के दौरान वहां किस तरह की व्यवस्था रहती है?
उनके सामने किस तरह की चुनौती रहती है? पुलिस अमले का उपयोग कैसे?
वहां बाजार, मुख्य सड़कों और आवासीय इलाके में ट्रैफिक के क्या इंतजाम हैं?
क्रेन, स्टाॅपर, इंटरसेप्टर व्हीकल, स्पीड गवर्नर, स्पीड राडार का उपयोग कैसे?
ये अफसर बनाएंगे प्लान
डीएसपी ट्रैफिक सतीश ठाकुर और गुरजीत सिंह दोनों मंगलवार को दिल्ली पहुंच गए। एएसपी ट्रैफिक महेश्वर नाग और डीएसपी मणीशंकर चंद्रा मुंबई और बेंगलुरु जाएंगे।
इन शहरों की आबादी रायपुर से 4-5 गुना ज्यादा है। क्षेत्रफल में भी बहुत बड़ा है। यहां ट्रैफिक का दबाव भी ज्यादा है। इन चारों महानगरों की ट्रैफिक को देश में सबसे अच्छा माना जाता है। यहां का सिस्टम भी बहुत हाईटेक है। दोनों टीमों के अधिकारी अध्ययन के बाद रिपोर्ट तैयार करेंगे और पुलिस मुख्यालय को सौंपेंगे। फिर उस रिपोर्ट के आधार पर काम किया जाएगा।
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