हजारों साल पहले पश्चिमी एशिया के देशों में गेहूं की खेती होने के सबूत मिले हैं. इसके अलावा तुर्की, ईराक और मिस्र में भी खुदाई के दौरान गेहूं के दाने मिल चुके हैं, जो तकरीबन 6 हजार साल पुराने बताए जाते हैं.
यही गेहूं आज दुनिया में सबसे ज्यादा खाने वाला अनाज है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 6020 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खपत होती है. गेहूं की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है. उसके बाद भारत का नंबर आता है.
आज इसी गेहूं की दुनियाभर में मारामारी हो रही है. पहले कोरोना और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं की सप्लाई पर असर पड़ा है. सप्लाई कम होने और डिमांड बढ़ने से गेहूं और आटे की कीमत बढ़ने लगी है. एक साल में ही भारत में गेहूं और आटे की कीमत में 20 फीसदी तक का उछाल आया है. गेहूं की कीमतों पर काबू पाने के लिए अब केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी है.
भारत दुनिया के उन देशों में है जो गेहूं का सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं. गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पादन भी चीन के बाद भारत में होता है. अमेरिका के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के मुताबिक, 2021-22 में दुनियाभर में 7793 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 1113 लाख टन गेहूं भारत में पैदा हुआ. इसे ऐसे समझिए कि दुनिया में पैदा होने वाले हर 100 किलो में से 14 किलो गेहूं भारत का होता है.
गेहूं का इतना उत्पादन, फिर कमी कैसे?
भारत में हर साल हजारों लाख टन गेहूं का उत्पादन होता है. 2021-22 में भारत में गेहूं का 1,113 लाख टन गेहूं पैदा हुआ था. अब सवाल ये उठता है कि गेहूं का इतना उत्पादन तो फिर कमी कैसे हो गई?
इसकी एक वजह है गेहूं के स्टॉक में गिरावट और एमएसपी पर गेहूं की खरीद में कमी. भारत में गेहूं का स्टॉक फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) करता है. एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक, एक साल में गेहूं का स्टॉक लगातार कम होता चला गया.
एफसीआई के मुताबिक, मई 2021 में 525 लाख टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक था, जो मई 2022 में घटकर 303 लाख टन का हो गया. बीते एक साल में लगातार 9 महीने तक गेहूं के स्टॉक में गिरावट आती रही. अप्रैल 2022 में करीब 190 लाख टन गेहूं का स्टॉक ही था. हालांकि, मई में इसमें थोड़ा सुधार हुआ. फिर भी ये पिछले साल के मुकाबले 42 फीसदी से ज्यादा कम है.
गेहूं के स्टॉक में कमी की एक बड़ी वजह एमएसपी पर गेहूं की खरीद में आ रही गिरावट भी है. इस साल के लिए सरकार ने 1 क्विंटल गेहूं पर 2,015 रुपये की एमएसपी तय की है जो कि मार्केट रेट से कम है.
एफसीआई के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में सरकार ने एमएसपी पर 178 लाख टन गेहूं खरीदा है. जबकि टारगेट 195 लाख टन का था. बता दें कि गेंहू की खरीद रबी सीजन में लगभग जून तक होती है. इस लिहाज से यह आंकड़ा अभी थोड़ा और ऊपर जा सकता है. लेकिन फिर भी यह बीते सालों के आंकड़ों के मुकाबले कम रहेगा ऐसा अनुमान है. बता दें कि 2021-22 में 433 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद एमएसपी पर हुई थी.
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम का भी कहना है कि सरकार ने गेहूं की खरीद नहीं की, इसलिए ये कमी हो रही है. उन्होंने कहा कि गेहूं का उत्पादन कम नहीं हुआ है, बल्कि सरकार ने गेहूं की खरीद नहीं की है. अगर गेहूं की खरीद होती तो निर्यात पर रोक लगाने की जरूरत नहीं पड़ती.
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