जिले में इस बार 11 जून तक मानसून दस्तक दे सकता है, क्योंकि इस बार निर्धारित समय से चार दिन पहले केरल में मानसून पहुंचने का अनुमान मौसम विभाग ने लगाया है। इसी के साथ जिलेवासियों में कौतूहल है कि हमारे जिले में कब तक मानसून दस्तक देगा और बारिश की शुरुआत होगी। इसको लेकर दैनिक भास्कर ने मौसम विभाग रायपुर के वैज्ञानिक एचपी चंद्रा, भू-अभिलेख शाखा के अफसरों से चर्चा कर पिछले 14 साल के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया।
मानसून की दस्तक के साथ कई सिस्टम सक्रिय होंगे, इसी के साथ 11 से 15 जून के बीच बारिश का दौर शुरू हो सकता है। मानसून की दस्तक का यह मतलब नहीं है कि लगातार बारिश होगी। कई बार सिस्टम कमजोर होने से बारिश ब्रेक की स्थिति बनती है। 2019 में 22 जून को मानसून ने जिले में दस्तक दी थी।
तब बस्तर से बालोद पहुंचने में चार दिन का समय लगा था। जबकि 2020 में 2019 की तुलना में मानसून 9 दिन पहले यानी 12-13 जून की मध्य रात को पहुंचा था। वहीं 2021 में 10 जून को मानसून ने दस्तक दी थी, तब बस्तर से 24 घंटे में जिले में प्रवेश किया था। इस बार भी 15 जून के पहले ही मानसून की दस्तक होने का अनुमान है।
इस बार जिले में मानसून की दस्तक जल्द होने की संभावना क्यों, जानिए
जब भी केरल में मानसून दस्तक देती है, 15 दिन के अंदर जिले में प्रवेश करती है। इस बार 27 मई तक केरल में मानसून दस्तक दे सकती है। ऐसा अनुमान मौसम विभाग ने लगाया है।
मानसून जब छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में दस्तक देती है तो वहां से लगभग 230 किमी की दूरी अधिकतम चार दिन में तय करती है, जबकि न्यूनतम 24 घंटे में, यह स्थिति सिस्टम सक्रिय होने की वजह से बनती है।
देश में मानसून की दस्तक के बाद निम्न दाब का क्षेत्र पश्चिम मध्य और उत्तर मध्य बंगाल की खाड़ी में बनना। ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक स्थित रहना। इस सिस्टम की वजह से मानसून ब्रेक की स्थिति नहीं रहती यानी रफ्तार पकड़ती है।
ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा दक्षिण छत्तीसगढ़ में 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक स्थित रहना। इस स्थिति में हवा की गति तेज होने से मानसून भी रफ्तार पकड़ती है। सक्रिय होकर आगे बढ़ती है।
किसी भी राज्य या दूसरे देश में द्रोणिका का सक्रिय होना फिर उत्तर राजस्थान, उत्तर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा होते हुए गुजरना।
हवा के साथ ज्यादा मात्रा में वातावरण में नमी तैयार होना। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी से नमीयुक्त हवा आना व अन्य कारण है।
बस्तर के सीमावर्ती क्षेत्रों से होकर पहुंचता है जिले में
मानसून बस्तर के सीमावर्ती इलाकों में जब प्रवेश करता है, तब वहां से जिले तक लगभग 230 किमी दूरी तय करते हुए प्रवेश करता है। पिछले 14 साल यानी 2007 से 2021 तक 9 साल ऐसा रहा, जब 20 जून के बाद मानसून ने जिले में दस्तक दी। 2013, 2017, 2018, 2020, 2021 में 15-20 जून के पहले मानसून ने दस्तक दी। जिले में मानसून के आगमन का औसतन समय 15 से 20 जून के बीच है।
गुरूर ब्लॉक में सबसे ज्यादा बरसा पानी
दूसरे राज्य में दो द्रोणिका सक्रिय होने की वजह से सोमवार अलसुबह 3 से 5 बजे के बीच 5 ब्लॉक में गरज-चमक के साथ 27.6 मिमी बारिश हुई। जो जिले का कुल औसत 4.6 मिमी है। मौसम विभाग व भू-अभिलेख शाखा के अनुसार गुरूर ब्लॉक में सबसे ज्यादा 13 मिमी पानी बरसा। जबकि बालोद ब्लॉक में 4 मिमी, गुंडरदेही में 7 मिमी, डौंडी लोहारा में 3 मिमी, डौंडी में 0.6 मिमी बारिश हुई। बालोद सहित जिले के अधिकांश हिस्सों में मौसम में उतार-चढ़ाव का दौर रविवार शाम को शुरू हो गया था।
बारिश थमने के बाद दिनभर मौसम में उतार-चढ़ाव हुआ। अधिकतम तापमान 39.2 मिमी और न्यूनतम तापमान 28 डिग्री रहा। रविवार की तुलना में अधिकतम तापमान 3 डिग्री कम रहा। मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि मंगलवार व बुधवार को भी मौसम में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इस दौरान धूप-छांव के बीच हल्की बारिश होने के आसार है। दिन का पारा 40 डिग्री होने से गर्मी व उमस से राहत की उम्मीद नहीं है।
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