नई दिल्ली: कांग्रेस के शीर्ष नेता नए चेहरों को पार्टी में नेतृत्व के स्तर पर लाने की क्रांतिकारी योजना पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस संगठनात्मक पदों पर बने रहने और चुनाव लड़ने के लिए आयु सीमा निर्धारित करने के अलावा राज्यसभा सदस्यों के लिए कार्यकाल-सीमा लगाने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है. इसके अलावा ‘एक परिवार, एक टिकट’ प्रस्ताव पर भी चर्चा होने की संभावना है. यह विचार पार्टी को ‘युवा रूप’ देने के प्रयास का हिस्सा है. द इंडियन एक्सप्रेस में कांग्रेस के दो शीर्ष नेताओं के हवाले से इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, ये दोनों नेता उदयपुर में 13 मई से होने वाले ‘चिंतन शिविर’ में भी शामिल रहेंगे.
इस रिपोर्ट में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से लिखा गया है, ‘पार्टी दो विचारों के बारे में बड़ी गंभीरता से सोच रही है, हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि इन प्रस्तावों का क्या आकार होगा.’ वहीं, दूसरे नेता के मुताबिक, ‘मैं आपको बता सकता हूं कि इस दिशा में निश्चित रूप से एक सोच है… हम गंभीरता से सोच रहे हैं, लेकिन मैं अभी यह नहीं कह सकता कि यह कैसे आएगा.’ यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन योजनाओं पर उदयपुर में होने जा रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर में चर्चा होती है या नहीं, जिसका आयोजन पार्टी के पुनरुद्धार के लिए एक रोडमैप पर विचार-विमर्श करने और रास्ता खोजने के लिए हो रहा है.
क्या कांग्रेस में भी लागू होगी चुनावी एज लिमिट?
साल 2014 में केंद्र की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस की ओर से आयोजित इस तरह का यह पहला विचार-मंथन शिवर है, जिसके लिए पार्टी के 430 से अधिक नेता उदयपुर में जुट रहे हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक को संबोधित करते हुए, पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए ‘दृढ़’ हैं कि उदयपुर में होने वाला चिंतन शिविर कई वैचारिक, चुनावी और प्रबंधकीय चुनौतियों का सामना करने के लिए एक पुनर्गठित संगठन की शुरुआत करेगा. सूत्रों के मुताबिक 2 प्रस्तावों पर अंतिम रूप अभी सामने नहीं आया है. उदाहरण के लिए, चुनाव नहीं लड़ने के लिए अधिकतम आयु सीमा क्या होनी चाहिए, 70 या 75? और क्या एक नेता के लिए राज्यसभा के कार्यकाल को 2 या 3 तक सीमित करना चाहिए?
एक अन्य विचार यह सुनिश्चित करना है कि एक निश्चित आयु से ऊपर के किसी भी सदस्य को पार्टी की संगठनात्मक ईकाई में शामिल नहीं किया जाए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘पार्टी में जब भी संगठनात्मक सुधार होगा, चाहे वह सीडब्ल्यूसी हो या केंद्रीय चुनाव समिति, यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाएगा कि युवा नेताओं के एक निश्चित प्रतिशत को जगह मिले. यही बात पीसीसी (राज्य इकाइयों) और जिला समितियों पर भी लागू होगी.’ वर्तमान में 70 और 75 साल से ऊपर के कई नेता कांग्रेस में कई स्तरों पर संगठनात्मक पदों पर काबिज हैं. सूत्रों की मानें तो इसकी संभावना नहीं है कि उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा जाएगा. एक अन्य कांग्रेसी नेता ने कहा, ‘एक क्रमिक प्रक्रिया के तहत इसे अंजाम दिया जाएगा.’
कांग्रेस में बड़े पदों पर 75 पार नेताओं की भरमार
सोनिया गांधी खुद 75 वर्ष की हैं. ऐसे संकेत हैं कि वह अगस्त-सितंबर में नए कांग्रेस अध्यक्ष के लिए रास्ता बना लेंगी, यदि सीडब्ल्यूसी जोर न दे कि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव तक पद पर बने रहना चाहिए. उदयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने दोहराया कि ‘कांग्रेस जन (लोग) चाहते हैं कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष के रूप में दोबारा पदभार ग्रहण करें’, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि नए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया चल रही है और इसके अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे 79 वर्ष के हैं. जबकि एआईसीसी महासचिव ओमन चांडी 78 वर्ष के हैं, मनमोहन सिंह और एके एंटनी जैसे सीडब्ल्यूसी सदस्य 80 से ऊपर हैं और अंबिका सोनी, हरीश रावत, पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद 70 से ऊपर हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 71 वर्ष के हैं.
राज्यों में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ 75 वर्ष के हैं. यदि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सत्ता में लौटती है, तो वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. ऐसा ही हाल हरियाणा के भूपिंदर सिंह हुड्डा का है. तो क्या ऐसे कुछ नेता अपवाद होंगे और उम्र की सीमा इन पर लागू नहीं होगी? सूत्रों का कहना है कि इन पहलुओं पर अभी स्पष्टता नहीं आई है. संयोग से, कांग्रेस नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि चिंतन शिविर में आधे प्रतिनिधि 50 वर्ष से कम आयु के हों. ये नेता निश्चित रूप से पार्टी की उपरोक्त योजनाओं को लेकर उत्साहित होंगे और चिंतन शिविर में इस संबंध में अगर कोई प्रस्ताव आता है तो निश्चित रूप से उसका समर्थन करेंगे.
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