सस्ती जेनरिक दवाओं के लिए राजधानी में धनवंतरी स्टोर्स खुले हुए करीब छह माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन इन स्टोर्स में अब भी बड़ी बीमारियां जैसे कैंसर, टीबी, मनोरोग के लिए जेनरिक दवाएं नहीं हैं। यही नहीं इन स्टोर्स में इंसुलिन भी नहीं मिल रहा है। बड़ी बीमारियों की दवाओं के लिए लोग लगातार इन स्टोर्स के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
प्रदेश में करीब 159 धनवंतरी स्टोर्स हैं। राजधानी में इनकी संख्या आधा दर्जन से अधिक है। करीब छह महीने पहले धनवंतरी जेनेरिक स्टोर्स खोले गए। इनमें सर्दी, खांसी, बुखार, कोलेस्ट्रोल समेत अन्य बीमारियों को लेकर करीब ढ़ाई सौ दवाओं को सूचीबद्ध किया गया। कई महीने बीतने के बाद भी यहां बड़ी बीमारियों की दवाएं नहीं है।
स्टोर में डायबिटीज की दवा है, लेकिन इंसुलिन नहीं
मेकाहारा अस्पताल के पास स्थित धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर। दोपहर करीब एक बजे। एक व्यक्ति इंसुलिन की मांग करता है। स्टोर्स में मौजूद स्टॉफ कहते हैं कि इंसुलिन नहीं है। धनवंतरी स्टोर्स में मौजूद स्टाॅफ से पूछने पर पता चला कि यहां डायबिटीज से संबंधित दवाएं हैं लेकिन इंसुलिन नहीं है।
सरकारी अस्पताल की पर्ची में डॉक्टर लिख रहे ब्रांडेड दवा
धनवंतरी स्टोर्स में बाहर खड़े एक व्यक्ति के पास मेकाहारा अस्पताल की पर्ची है। इस पर्ची में गैस के लिए जो दवा लिखी गई है, वह ब्रांडेड है। इसी तरह एक अन्य व्यक्ति के पर्ची में भी डॉक्टर ने ब्रांडेड दवा लिखी है। पूछने पर पता चला कि यह दवा एलर्जी, खुजली जैसी बीमारी के लिए है।
ब्रांडेड दवा महंगी होने के कारण मरीज पहुंचते है धनवंतरी स्टोर्स
जानकारी के मुताबिक इंसुलिन की डिमांड ज्यादा है लेकिन धनवंतरी स्टोर्स में यह दवाएं नहीं है। शुरुआत से ही इंसुलिन यहां नहीं है। डायबिटीज के मरीज यहां आकर जब इंसुलिन की मांग करते है तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक ब्रांडेड में इंसुलिन की कीमत 250 रुपए से लेकर साढ़े तीन हजार रुपए तक है। इंसुलिन का इस्तेमाल करने वालों को यह दवा काफी महंगी पड़ती है। इसलिए धनवंतरी स्टोर्स में इंसुलिन की दवा की मांग की जा रही है।
जेनेरिक दवाईयों का उपयोग बढ़ाने पर जोर
लोगों को सस्ती दवाएं मिल सके, इसे लेकर जेनेरिक दवाओं के उपयोग पर जोर दिया गया। इसके लिए राजधानी समेत राज्य में धनवंतरी स्टोर्स खोले गए। माना गया कि सरकारी डॉक्टर जेनेरिक दवाएं लिखेंगे। लेकिन शुरुआत से ही डाॅक्टरों का जोर ब्रांडेड की ओर था।
कुछ दिन पहले शासन ने जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए दबाव बनाया। इसके बाद कुछ डॉक्टर जेनेरिक दवाएं लिख रहे हैं, लेकिन अब भी मेकाहारा समेत कई सरकारी अस्पताल के ब्रांडेड दवा ही लिख रहे हैं। इसी तरह प्राइवेट अस्पताल के पर्ची में भी ब्रांडेड दवा ही मिली।
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