कोरोनाकाल में लॉकडाउन महिलाओं के लिए दर्दभरा रहा। एम्स के ऑनलाइन सर्वे के आंकड़े तो यही बताते हैं। लॉकडाउन में पत्नियों पर घरेलू हिंसा काफी बढ़ गई थी। खास बात ये है कि इसमें शिक्षित महिलाएं ज्यादा रहीं, जिन पर हिंसा हुई। लॉकडाउन में पहले की अपेक्षा 33 फीसदी ज्यादा घरेलू हिंसा हुई। एम्स ने पहले लॉकडाउन में देशभर की महिलाओं से ऑनलाइन सर्वे किया था। इसमें 6 सेंटर के माध्यम से सर्वे हुआ।
ऑनलाइन सर्वे में 654 शादीशुदा महिलाओं ने हिस्सा लिया। इसमें 560 को विश्लेषण के लिए चुना गया था। लॉकडाउन में 18.1 फीसदी महिलाओं पर हिंसा हुई, जबकि लॉकडाउन के पहले यह 4.5 फीसदी था। 77.6 फीसदी महिलाओं ने ये भी बताया कि लॉकडाउन में हिंसा काफी बढ़ गई है।
12.9 फीसदी महिलाओं में गंभीर शारीरिक चोट व 76.2 फीसदी महिलाएं मानसिक रूप से प्रभावित हुईं। 70.3 फीसदी ने बताया कि इस तरह की हिंसा ने उनके यौन संबंधों को प्रभावित किया। इसमें 38.6 फीसदी महिलाओं ने सुरक्षा या बचाव का सहारा नहीं लिया। 21.8 फीसदी महिलाओं ने पड़ोसियों व 18.8 फीसदी ने माता-पिता से जुड़े परिवार से मदद मांगी। लॉकडाउन से पहले पति-पत्नी की हिंसा की सूचना 77.6 फीसदी महिलाएं दे रही थीं।
उच्च शिक्षित ज्यादा हिंसा के शिकार हुए
डाॅक्टरों ने आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया कि उच्च शिक्षित महिलाओं में वैवाहिक हिंसा की दर अधिक रही। हाई स्कूल सर्टिफिकेट या उससे नीचे पढ़ी लिखी महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार कम बनीं।
लॉकडाउन के दौरान हिंसा में ये तथ्य…
वित्तीय बाधाएं- 60.0% (नौकरी का नुकसान शामिल है- 26.2%)
घर में बहुत अधिक समय व्यतीत करना- 23.8%, इसमें घर से काम करना शामिल है 21.4%
बच्चों की जिम्मेदारी साझा करने के मामले में भागीदारी- 17.8%
बुजुर्गों की जिम्मेदारी साझा करने के मामले में भागीदारी- 14.3%
बहुत अधिक टेलीविजन/स्क्रीन समय बिताना- 14.3%
पहले की तरह मादक द्रव्यों के सेवन में असमर्थता- 11.9%
50.5% ने बताया कि इस तरह की हिंसा के कारण उन्हें लगातार डर बना रहता है।
कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने का डर- 10.7%
12.9% ने चोटों के कारण अस्पताल का दौरा किया
हिंसा के कारण उदास रहने वालों का अनुपात 76.2% था।
36.6 प्रतिशत में स्वयं को नुकसान पहुंचाने का विचार भी में स्वयं को नुकसान पहुंचाने के विचार थे, (आत्मघाती विचारों सहित)
32.7 के विचार अपराधी को नुकसान पहुंचाने के थे, यानि मारने का विचार भी आया।
सर्वे के निष्कर्ष
डॉक्टरों ने निष्कर्ष में पाया कि भारतीय महिलाओं में वैवाहिक हिंसा में वृद्धि हुई है। इसमें शारीरिक व मानसिक दोनों तरह की हिंसा शामिल है। इसमें हिंसा के कथित कारणों में वित्तीय बाधाएं व लॉकडाउन के कारण सोशल न होना है।
हिंसा से बचने ये सुझाव
मुख्य रूप से पीड़ितों के लिए उपलब्ध सहायता के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाना।
वैवाहिक हिंसा से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य परिणामों के लिए हेल्पलाइन सेवाएं शुरू करना।
जोड़ों के बीच कार्य-पारिवारिक संघर्षों को सुलझाने में मदद करें।
मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित समस्याओं को निपटाना।
Add Comment