नई दिल्ली . देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मोस्ट अवेटेड आईपीओ का इंतजार खत्म होता दिख रहा है. सूत्रों के मुताबिक, यह इश्यू चार मई को खुलकर नौ मई को बंद होगा. आईपीओ के जरिये सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में अपनी 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी. इससे सरकार को 21,000 करोड़ रुपये मिलेंगे. आईपीओ के आधार पर एलआईसी का मूल्यांकन छह लाख करोड़ रुपये बैठता है.
इससे पहले भारत सरकार ने फरवरी के महीने में एलआईसी के आईपीओ के तहत 5 फीसदी शेयर बेचने की योजना बनाई थी. लेकिन अब यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण बाजार में आई अस्थिरता की वजह से आईपीओ के आकार में कटौती किए जाने की बात सामने आ रही है.
कम हुआ वैल्यूएशन
एलआईसी के 3.5 फीसदी शेयर 21 हजार करोड़ रुपये में बेचे जाने का मतलब यह होगा कि सौ फीसदी सरकारी स्वामित्व वाली इस कंपनी का वैल्युएशन 6 लाख करोड़ रुपये आंका जा रहा है. एलआईसी का आईपीओ लाने के फैसले की शुरुआत में यह वैल्युएशन करीब 16 लाख करोड़ रुपये तक आंका जा रहा था.
इस हिसाब से देखें तो कंपनी के वैल्युएशन में करीब 10 लाख करोड़ रुपये की भारी कटौती की जा रही है. कहा जा रहा है कि यह कटौती बाजार के बदले हालात में बड़े निवेशकों से मिले फीडबैक के आधार पर की गई है.
फरवरी में आया था ड्राफ्ट पेपर
इससे पहले फरवरी में एलआईसी ने सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर दाखिल किए थे, जिसमें सरकार ने 31.6 करोड़ यानी 5 फीसदी शेयर बेचने का इरादा जाहिर किया था. इंटरनेशनल फर्म मिलिमैन एडवाइज़र्स ने 30 सितंबर 2021 को एलआईसी की एंबेडेड वैल्यू 5.4 लाख करोड़ रुपये आंकी थी. 6 लाख करोड़ रुपये की मौजूदा वैल्यूएशन इससे करीब 10 फीसदी अधिक है, जबकि पहले कहा जा रहा था कि एलआईसी जैसी कंपनी का वैल्यूएशन एंबेडेड वैल्यू का कम से कम 3 गुना होना चाहिए.
इसी आधार पर तब एलआईसी की वैल्युएशन 16 लाख करोड़ रुपये तक निकाली जा रही थी. भारत सरकार के 65 हजार करोड़ रुपये के मौजूदा विनिवेश लक्ष्य में एलआईसी के आईपीओ का काफी बड़ा योगदान रहने वाला है. पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 13,531 करोड़ रुपये का विनिवेश किया था.
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