रांची। चारा घाटोला के दुमका कोषागार केस में दोषी पाए जाने के बाद शनिवार को लालू यादव को सजा सुनाई गई। आरजेडी अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को इस केस में अब तक की सबसे बड़ी सजा सुनाई गई है। रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें 7 साल की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कि चारा घोटाले के चौथे मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को दोषी करार दिया था। इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया। न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 तक दुमका कोषागार से फर्जी तरीके से 3.13 करोड़ रुपये निकालने के मामले में यह फैसला सुनाया है।
लालू यादव पहले से ही चारा घोटाला के तीन अन्य मामलों में दोषी ठहराये जाने के बाद से रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। चारा घोटाले का ये चौथा केस यानी दुमका कोषागार केस 3 करोड़ 13 लाख रुपये के गबन का है। इससे पहले लालू यादव को पहले और दूसरे केस में 5-5 साल की सजा हुई थी, जबकि तीसरे यानी देवघर केस में उन्हें 3.5 साल की सजा सुनाई थी। आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस केस में अगर साजिश की बात मानी जाए। उन्होंने कहा कि मान लीजिए लालू जी ही साजिश के तहत दोषी हैं, मगर संविधान कहता है किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए बार-बार दंडित नहीं किया जा सकता है. लेकिन यहां अलग ढंग से कानून की व्याख्या हो रही है. ऐसे में न्याय व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है।
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